कोरबा: भू-विस्थापितों का फूटा गुस्सा, कुसमुंडा मुख्य महाप्रबंधक का पुतला फूंका – फर्जी नौकरी घोटाले पर उबाल




त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ कोरबा। कुसमुंडा परियोजना में भू-विस्थापितों के बीच नाराजगी का दौर गहराता जा रहा है। फर्जी नौकरियों के आरोप को लेकर शनिवार को भू-विस्थापितों ने कुसमुंडा मुख्य महाप्रबंधक और उप मुख्य महाप्रबंधक का पुतला फूंककर अपना आक्रोश जताया। प्रदर्शनकारी भू-विस्थापितों का आरोप है कि कालांतर में कई बाहरी लोगों को फर्जी तरीके से नौकरियां दे दी गईं, जबकि असली भू-विस्थापित परिवार के लोग आज भी रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
महिलाओं ने अर्धनग्न प्रदर्शन कर जताई पीड़ा
इस विरोध प्रदर्शन से एक दिन पहले भू-विस्थापित रोजगार एकता महिला किसान संगठन के बैनर तले महिलाओं ने मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय के भीतर अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया था। महिलाओं ने कहा कि उनके परिवार की जमीन लेने के बावजूद उनके घर के युवाओं को नौकरी नहीं मिली, जबकि बाहरी लोगों के खातों में फर्जी नियुक्ति कर दी गई।
पुतला दहन और जोरदार नारेबाजी
अगले दिन प्रदर्शनकारियों ने मुख्य महाप्रबंधक और उप मुख्य महाप्रबंधक के पुतले के साथ जुलूस निकाला और कार्यालय गेट पर उन्हें आग के हवाले कर दिया। इस दौरान “एसईसीएल मुर्दाबाद” और “फर्जी नियुक्ति बंद करो” जैसे नारों से परिसर गूंज उठा। भू-विस्थापितों के चेहरे पर गुस्सा साफ झलक रहा था और वे प्रबंधन के रवैये को अन्यायपूर्ण बता रहे थे।
एसईसीएल की सफाई – सत्यापन के बाद दी गई नौकरियां
वहीं, एसईसीएल प्रबंधन ने इस पूरे मामले में सफाई देते हुए कहा कि जिनकी जमीन का अधिग्रहण हुआ है, उन्हें राज्य शासन और संबंधित विभागों के सत्यापन के उपरांत ही नौकरी दी गई है। प्रबंधन का कहना है कि अगर किसी स्तर पर गड़बड़ी हुई है तो जांच का जिम्मा शासन का है।
1978 का “खेला” फिर आया चर्चा में
भू-विस्थापितों ने आरोप लगाया कि वर्ष 1978 के समय जब अविभाजित मध्यप्रदेश में पुनर्वास नीति लागू नहीं थी, तब कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित भू-अर्जन समिति और अन्य अधिकारियों ने नियमों का दुरुपयोग किया। लगभग तीन एकड़ भूमि पर एक नौकरी का प्रावधान था, लेकिन कई छोटे भू-स्वामियों को भी नौकरी देकर मैनपावर की पूर्ति की गई। इस प्रक्रिया में राजस्व विभाग के अधिकारियों, आरआई और पटवारियों ने फर्जी तरीके से नियुक्तियों का “खेला” कर डाला।
मामले ने पकड़ा तूल, जांच की मांग तेज
अब इस पूरे प्रकरण ने तूल पकड़ लिया है। भू-विस्थापितों ने राज्य शासन से मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
