June 6, 2025

त्रिनेत्र टाईम्स

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“खादी ग्रामोद्योग को नई दिशा: कांकेर और धमतरी में इकाइयों का निरीक्षण, आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की ओर बड़ा कदम”

 


त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा **/**  कांकेर/धमतरी,  छत्तीसगढ़ में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और आत्मनिर्भरता की भावना को बढ़ावा देने के लिए खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा उल्लेखनीय पहल की जा रही है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष श्री राकेश पांडेय ने आज कांकेर और धमतरी जिलों में संचालित पंजीकृत ग्रामोद्योग इकाइयों का निरीक्षण किया। यह दौरा राज्य में स्वदेशी उत्पादन, रोजगार सृजन और ग्रामीण नवाचारों को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

निरीक्षण के दौरान श्री पांडेय ने इकाइयों की कार्यप्रणाली का गहन अवलोकन किया और उत्पादन की गुणवत्ता, कच्चे माल की उपलब्धता, तकनीकी संसाधनों की स्थिति एवं विपणन व्यवस्थाओं की समीक्षा की। उन्होंने कारीगरों से संवाद कर उनकी समस्याएं सुनीं और आवश्यक निर्देश मौके पर ही अधिकारियों को दिए। उन्होंने कहा कि ग्रामोद्योग के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं, जिन्हें संगठित प्रयासों से एक सशक्त रूप दिया जा सकता है।

 

श्री पांडेय का वक्तव्य:
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जी की ‘सशक्त गांव, आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़’ नीति हमारे मार्गदर्शक सिद्धांत हैं। ग्रामोद्योगों को तकनीकी नवाचार, ऑनलाइन मार्केटिंग और सुदृढ़ ब्रांडिंग से जोड़ना अब समय की आवश्यकता है।”

उन्होंने यह भी बताया कि बोर्ड द्वारा आगामी महीनों में कई नई योजनाएं प्रारंभ की जा रही हैं, जिनमें डिजिटल मार्केटिंग प्लेटफॉर्म, उद्यमिता विकास कार्यक्रम, गुणवत्ता नियंत्रण प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता योजनाएं शामिल हैं।

अंत में श्री पांडेय ने स्थानीय प्रशासन, ग्राम पंचायतों और विभागीय अधिकारियों से अपील की कि वे केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर पर पूरी तत्परता से लागू करें, ताकि अधिक से अधिक ग्रामीण युवा, महिलाएं और शिल्पकार इनसे जुड़कर आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ सकें।

यह दौरा छत्तीसगढ़ में ग्रामोद्योग की नई संभावनाओं को उजागर करने और उसकी वास्तविक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। इससे न केवल स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक स्थायित्व और रोजगार के नए द्वार भी खुलेंगे।

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