June 6, 2025

त्रिनेत्र टाईम्स

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07 जून को आएगा दुर्लभ व्युंजलि महाद्वादशी संयोग — करें भीमसेनी निर्जला एकादशी का व्रत और पाएं सहस्त्र एकादशियों के पुण्य का फल

📰 विशेष धर्म-संवाद:

।।ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।।

त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/  आस्था और तप का परम पर्व निर्जला एकादशी इस वर्ष एक अत्यंत दुर्लभ और शुभ योग — व्युंजलि महाद्वादशी के साथ 7 जून 2025, शनिवार को आ रहा है। धर्मशास्त्रों में इस दिन को भीमसेनी एकादशी या पांडव एकादशी भी कहा गया है।

इस बार ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 6 जून 2025 को भोर 2:15 बजे प्रारंभ होकर 7 जून को प्रात: 4:47 बजे तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार, जब एकादशी तिथि द्वादशी तक विस्तारित न हो और द्वादशी तिथि त्रयोदशी तक पहुँचे, तो व्युंजलि महाद्वादशी का विशेष योग बनता है।

💫 इस विशेष संयोग में एकादशी की बजाय महाद्वादशी का व्रत अधिक फलदायक माना जाता है। अतः इस बार व्रत 7 जून शनिवार को करना श्रेष्ठ रहेगा।

🔔 पारण (व्रत खोलने) का समय:
8 जून 2025 रविवार, प्रात: 5:28 बजे से 7:10 बजे तक।

🔱 व्रत की पौराणिक कथा और महत्व:

महाभारत के महान योद्धा भीमसेन जब व्रत करने में असमर्थता जताते हैं, तब भगवान वेदव्यास उन्हें निर्जला एकादशी का व्रत करने की आज्ञा देते हैं। वे बताते हैं कि इस व्रत में सिर्फ एक दिन जल तक का त्याग कर लेने से संपूर्ण वर्ष की सभी 24 एकादशियों के पुण्यफल की प्राप्ति हो जाती है।

यह व्रत अत्यंत कठिन तपस्या का प्रतीक है, क्योंकि इसमें पूरे दिन और रात अन्न, जल, फल — सभी का पूर्ण त्याग करना होता है। केवल आचमन के रूप में कुछ बूँद जल ग्रहण करना ही शास्त्रसम्मत है।

भगवान वेदव्यास कहते हैं — “जो व्यक्ति श्रद्धा से इस एकादशी का पालन करता है, वह अपने सारे पापों से मुक्त होकर विष्णुलोक को प्राप्त करता है। मृत्यु के समय यमदूत उसके समीप नहीं आते, बल्कि भगवान के पार्षद पुष्पक विमान से उसे लेने आते हैं।”

🌿 व्रत की विधि और प्रमुख कर्म:

सूर्योदय से पूर्व स्नान कर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।

श्रीहरि विष्णु का पूजन, तुलसी अर्पण करें।

गौदान, वस्त्रदान, जूते व अन्न का दान करना अत्यंत पुण्यदायी होता है।

जल से भरे हुए कलश का दान, विशेष फलदायक माना गया है।

द्वादशी के दिन सूर्योदय से पहले ब्राह्मणों को मिष्ठान्न भोजन कराकर स्वयं पारण करें।

🌺 पुण्यफल और आध्यात्मिक लाभ:

एक दिन का यह व्रत सहस्त्र एकादशियों का फल देता है।

ब्रह्महत्या, मद्यपान, चोरी जैसे घोर पाप भी इस व्रत से नष्ट हो जाते हैं।

इस दिन व्रत करने वाला व्यक्ति, यदि किसी कारणवश अन्य व्रत न कर सके, तब भी वह मोक्ष का अधिकारी बनता है।

📿 श्रद्धालुओं से आह्वान:

यदि आप जीवन में पुण्य, आत्मिक शांति और भगवान विष्णु की कृपा चाहते हैं, तो भीमसेनी निर्जला एकादशी का व्रत इस वर्ष अवश्य करें। इस शुभ संयोग में किया गया यह व्रत केवल इस जीवन ही नहीं, अगणित जन्मों के पापों से भी मुक्ति दिलाने वाला है।

📖 इस कथा का पठन, श्रवण और प्रचार स्वयं भी पुण्य प्रदान करता है।
🌞 एक दिन की तपस्या, सहस्त्र वर्षों की साधना के बराबर फल देती है — यही है निर्जला एकादशी की महिमा।

✍🏻 नाड़ीवैद्य पंडित डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा द्वारा प्रस्तुत यह जानकारी समस्त श्रद्धालुजनों के लिए एक अमूल्य मार्गदर्शन है। इस दिव्य अवसर पर स्वयं को इस आध्यात्मिक यात्रा में सहभागी बनाएं और जीवन को पवित्रता और पुण्य से भरें।

🪔 “व्रत वह दीपक है जो आत्मा को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है…”

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