महादेव सट्टा ऐप महाघोटाला : 573 करोड़ की जब्ती, बॉलीवुड से हवाला नेटवर्क तक ईडी की करारी चोट


त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा रायपुर ****/ देश की आर्थिक और विधिक व्यवस्था को झकझोर देने वाले महादेव ऑनलाइन बुक बेटिंग ऐप घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 16 अप्रैल 2025 को अब तक की सबसे बड़ी और निर्णायक कार्रवाई को अंजाम दिया है। धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत देश के कई बड़े शहरों—दिल्ली, मुंबई, इंदौर, अहमदाबाद, चंडीगढ़, चेन्नई और ओडिशा के संबलपुर—में एक साथ सघन छापेमारी अभियान चलाया गया।
इस अभूतपूर्व ऑपरेशन के दौरान ईडी ने कुल 573.47 करोड़ रुपये की संपत्तियाँ जब्त की हैं, जिनमें 3.29 करोड़ रुपये की नकदी, कीमती वस्तुएं, निवेश, बॉन्ड और महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य शामिल हैं। यह कार्रवाई रायपुर स्थित ईडी के जोनल कार्यालय द्वारा नियंत्रित और संचालित की गई।
दुबई से ऑपरेट होता अवैध सट्टा साम्राज्य :
जांच में खुलासा हुआ है कि महादेव ऐप का संचालन दुबई (UAE) से किया जा रहा है। इसके प्रमुख सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल ने भारत में फ्रेंचाइज़ी मॉडल के जरिए एक व्यापक सट्टा नेटवर्क खड़ा किया। एजेंटों को 70:30 लाभांश मॉडल पर जोड़ते हुए लाखों लोगों को अवैध ऑनलाइन जुए में फंसाया गया।
प्रत्येक महीने सैकड़ों करोड़ रुपये की अवैध कमाई हवाला और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए विदेशी बैंकों में ट्रांसफर की जा रही थी। इससे एक बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क और आंतरराष्ट्रीय आर्थिक अपराध का पर्दाफाश हुआ है।
बॉलीवुड से लेकर ब्यूरोक्रेसी तक ईडी की रडार पर :
फरवरी 2023 में दुबई में सौरभ चंद्राकर की भव्य शादी, जिसमें अनुमानित 200 करोड़ रुपये बेहिसाब खर्च किए गए, अब जांच के घेरे में है। इस समारोह में कई बॉलीवुड सितारे, इवेंट मैनेजर और बिचौलिए शामिल हुए थे। सूत्रों के अनुसार, इनमें से कई को विदेशों से भुगतान किया गया, जिसकी जांच विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम (FEMA) और आयकर कानूनों के तहत हो रही है।
राजनीतिक संरक्षण की आशंका, जनता में रोष :
जांच के बढ़ते दायरे ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या इस संगठित अपराध को राजनैतिक या प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त था? लंबे समय से भारत में फलता-फूलता यह नेटवर्क बिना किसी उच्चस्तरीय शह के संभव नहीं लगता। इससे जनता के बीच आक्रोश और अविश्वास की भावना बढ़ रही है।
पूर्ववर्ती कार्रवाइयों की पृष्ठभूमि :
- नवंबर 2024: रायपुर और अभनपुर में स्थित 500 करोड़ रुपये मूल्य की 19 संपत्तियों पर ईडी ने कब्जा किया।
- दिसंबर 2024: 388 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियाँ, जिनमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) शामिल थे, कुर्क की गईं।
यह केवल सट्टा नहीं, एक संगठित आर्थिक आतंकवाद है :
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घोटाला सिर्फ अवैध जुए तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की वित्तीय सुरक्षा, कानूनी व्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने पर एक गहरा हमला है। इसमें फिल्म इंडस्ट्री की चकाचौंध, हवाला और क्रिप्टो चैनलों की जटिलता, तथा राजनीतिक चुप्पी, तीनों के संगम ने इस अपराध को एक संगठित आर्थिक आतंकवाद का रूप दे दिया है।
महादेव ऐप घोटाले की यह ताज़ा कार्रवाई एक बड़ा संकेत है कि देश की जाँच एजेंसियाँ अब संगठित आर्थिक अपराध के खिलाफ सख्त रुख अपनाने को तैयार हैं। अब देखना यह होगा कि इस मामले में किन-किन प्रभावशाली नामों तक जांच की आंच पहुँचती है और क्या इस आर्थिक साम्राज्य की जड़ें पूरी तरह उखाड़ी जा सकेंगी।
