पत्रकार की हत्या की साजिश का पर्दाफाश: तहसीलदार, भूमाफिया और फर्जी पत्रकारों का खौफनाक गठजोड़ उजागर, डेढ़ लाख की सुपारी पर रची गई थी मौत की योजना






त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा */भारत सूरजपुर विशेष रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले से लोकतंत्र, पत्रकारिता और कानून-व्यवस्था को झकझोर देने वाला एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। पत्रकार की हत्या की सुपारी देने के गंभीर और पुख्ता आरोपों में लटोरी तहसीलदार सुरेंद्र साय पैंकरा, उसके करीबी भूमाफिया संजय गुप्ता, हरिओम गुप्ता, तथाकथित पत्रकार फिरोज अंसारी, उसका साला असलम सहित अन्य आरोपियों पर प्रतापपुर थाना में FIR दर्ज की गई है।
यह मामला अब केवल एक आपराधिक षड्यंत्र नहीं रह गया है, बल्कि यह प्रशासनिक भ्रष्टाचार, भूमाफिया नेटवर्क, फर्जी पत्रकारिता और सत्ता संरक्षण की खतरनाक तस्वीर पेश करता है, जहां सच लिखने की कीमत “मौत” तय की गई।
भ्रष्टाचार उजागर किया तो मौत का फरमान जारी
हिंद स्वराष्ट्र एवं सिंधु स्वाभिमान के संपादकों द्वारा लटोरी तहसीलदार सुरेंद्र साय पैंकरा के खिलाफ पूरे दस्तावेजी प्रमाणों के साथ लगातार खबरें प्रकाशित की गई थीं। इन खबरों में स्पष्ट रूप से सामने आया कि—
बिना कलेक्टर की अनुमति
बिना पटवारी प्रतिवेदन
नियम-कायदों को ताक पर रखकर
फर्जी जमीन रजिस्ट्रियां और अवैध नामांतरण कराए गए।
खबरों के बाद SDM सूरजपुर शिवानी जायसवाल ने तहसीलदार को तीन कारण बताओ नोटिस जारी किया, लेकिन हैरानी की बात यह है कि चार महीने बीत जाने के बावजूद जांच रिपोर्ट आज तक दबाकर रखी गई है।
भूमाफिया–तहसीलदार का खुला गठजोड़
इस पूरे जमीन घोटाले की जड़ में लटोरी तहसील के ग्राम हरिपुर निवासी संजय गुप्ता और उसका पुत्र हरिओम गुप्ता बताए जा रहे हैं, जो वर्षों से जमीन दलाली और अवैध लेन-देन में सक्रिय हैं।
आरोप है कि—
तहसीलदार से सीधी सांठगांठ कर
गैरकानूनी नामांतरण कराए गए
और जब पत्रकारों ने पूरे रैकेट का पर्दाफाश किया
तो पहले धमकी, फिर दबाव और अंततः हत्या की सुपारी तक दे दी गई।

पत्रकारों को खुलेआम कहा गया—
“तहसीलदार से दूर रहो, वरना जान से हाथ धो बैठोगे।”
प्रधानमंत्री आवास और नामांतरण घोटाले की परतें
सिरसी ग्राम पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में हुए घोटाले की जांच के बाद रोजगार सहायक नईम अंसारी को बर्खास्त किया गया।
इसी पंचायत से जुड़ा एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया, जिसमें—
देवानंद कुशवाहा की 2 एकड़ जमीन
कथित तौर पर 5 लाख रुपए की रिश्वत लेकर
उसके भाई बैजनाथ कुशवाहा के नाम
बैक डेट में नामांतरण किया गया।
इस गंभीर मामले की जांच भी आज तक ठंडे बस्ते में है।
डेढ़ लाख में तय हुई पत्रकार की जान
पुलिस जांच में सामने आया कि पत्रकार प्रशांत पाण्डेय की हत्या की साजिश में—
तहसीलदार सुरेंद्र साय पैंकरा
संजय गुप्ता, हरिओम गुप्ता
प्रेमचंद ठाकुर, अविनाश ठाकुर
संदीप कुशवाहा
तथाकथित पत्रकार फिरोज अंसारी
और उसका साला असलम
सभी की सक्रिय भूमिका रही।
डेढ़ लाख रुपए में हत्या की सुपारी दी गई और इसे अंजाम देने के लिए तीन बार प्रयास किए गए।
हत्या के तीन नाकाम प्रयास, लेकिन इरादे साफ
🔴 पहला प्रयास
पत्रकारिता की आड़ लेकर संपादक को सिरसी बुलाया गया।
ट्रक से कुचलने की योजना बनाई गई।
लेकिन परिवार और छोटे बच्चों को साथ देखकर योजना टाल दी गई।
🔴 दूसरा प्रयास
शूटर असलम को बुलाया गया।
लेकिन उसी दौरान पत्रकार परिवार सहित उज्जैन (महाकाल दर्शन) चले गए और जान बच गई।
🔴 तीसरा प्रयास
20 सितंबर की रात बनारस मार्ग पर
बाइक से लौटते समय कार से कुचलने की कोशिश की गई,
लेकिन अचानक भीड़ और यातायात के कारण योजना विफल हो गई।
ग्रामसभा में फूटा हत्या षड्यंत्र का सच
हरिपुर ग्रामसभा के दौरान आरोपियों के बीच आपसी फूट पड़ गई और पूरी साजिश भरी पंचायत में उजागर हो गई।
सभा में—
संजय गुप्ता ने
धमकी देने
सुपारी देने
और हत्या की योजना
स्वीकार करते हुए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी।
जबकि हरिओम गुप्ता ने माफी से इनकार करते हुए “पंचायत के बाहर फैसला” करने की धमकी दी।
इन पर दर्ज हुआ गंभीर अपराध
प्रतापपुर थाना में FIR दर्ज की गई—
सुरेंद्र साय पैंकरा (तहसीलदार, लटोरी)
संजय गुप्ता
हरिओम गुप्ता
अविनाश ठाकुर
प्रेमचंद ठाकुर
संदीप कुशवाहा
तथाकथित पत्रकार फिरोज अंसारी
असलम
पुलिस ने कहा है कि जांच तेज कर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
चार महीने से जांच दबे रहना: लापरवाही या संरक्षण?
सबसे बड़ा सवाल यही है—
इतने गंभीर आरोप
पुख्ता दस्तावेजी सबूत
और अब FIR दर्ज होने के बाद भी
SDM स्तर की जांच चार महीने से क्यों दबाकर रखी गई?
क्या यह—
प्रशासनिक लापरवाही है?
या भ्रष्ट अधिकारी को खुला संरक्षण?
अब इस पूरे मामले में न्याय की आखिरी उम्मीद अदालत ही बची है, क्योंकि—
“कुर्सी की गर्मी कोर्ट की चौखट पर ठंडी पड़ जाती है।”





