कोरबा में बड़ा खतरा टला: स्टॉप डेम की दीवार टूटी, मिनी हाइडल प्लांट में पानी घुसा — कर्मचारी जान बचाकर भागे, उत्पादन ठप






त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ कोरबा। जिले में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब स्टॉप डेम की दीवार में अचानक दरार आ गई और तेज बहाव का पानी सीधे 85 KW के मिनी हाइडल प्लांट में घुस गया। घटनास्थल पर मौजूद कर्मचारी घबराकर अपनी जान बचाने के लिए भागे, जिससे बड़ी जनहानि और बड़ा औद्योगिक हादसा टल गया। स्थिति इतनी गंभीर थी कि कुछ ही मिनटों में पूरी मशीनरी पानी से भर गई और प्लांट पूरी तरह ठप हो गया।
यह मिनी हाइडल प्लांट विद्युत मंडल के HTPS संयंत्र के ठीक पास स्थापित है, जिससे खतरे का स्तर और ज्यादा बढ़ गया था। अचानक आई इस तकनीकी और संरचनात्मक विफलता ने प्लांट की सुरक्षा व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
तेज़ बहाव ने मिनटों में डुबोया प्लांट, बड़ा हादसा होते-होते टला
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, स्टॉप डेम की दीवार से अचानक पानी का तेज़ रिसाव शुरू हुआ। कुछ ही समय में दरार चौड़ी होने लगी और वह पानी भारी दबाव के साथ सीधे हाइडल प्लांट में दाखिल हो गया।
मौके पर मौजूद कर्मचारियों ने जैसे-तैसे मशीनें छोड़कर दौड़ लगाई और अपनी जान बचाई। यदि कर्मचारी कुछ देर और मौके पर रहते तो स्थिति बेहद भयावह हो सकती थी।
उत्पादन बंद, मशीनरी को भारी नुकसान की आशंका
प्रभावित 85 KW मिनी हाइडल प्लांट का पूरा उत्पादन रोक दिया गया है। पानी भरने से टरबाइन, कंट्रोल पैनल, जेनरेटर समेत कई मुख्य इकाइयों को गंभीर नुकसान की आशंका जताई जा रही है। तकनीकी टीमों ने प्लांट को बंद कर सुरक्षा घेरा बना दिया है।
अधिकारी मौके पर पहुँचे, जांच शुरू — कारणों पर उठे सवाल
घटना की जानकारी मिलते ही प्लांट के अधिकारी और विद्युत मंडल के संबंधित अधिकारी मौके पर पहुँचे।
प्रारंभिक जांच में अनुमान है कि —
स्टॉप डेम की संरचना कमजोर थी
पानी का अचानक दबाव बढ़ा
मेंटेनेंस समय पर नहीं हुआ
इनमें से कोई एक या सभी कारण इस बड़े खतरे का कारण बन सकते हैं।
स्थानीय कर्मचारियों का कहना है कि दाईं ओर वाले हिस्से में रिसाव की शिकायत पहले भी दी गई थी, लेकिन उस पर कोई गंभीर कार्रवाई नहीं हुई।
HTPS के लिए भी खतरा बढ़ा था
चूंकि यह हाइडल प्लांट HTPS संयंत्र के बेहद करीब स्थित है, इसलिए इस पानी के बहाव से बड़े औद्योगिक नुकसान की आशंका बढ़ गई थी। यदि पानी का बहाव कुछ और तेज होता या देर से रोका जाता, तो दोनों संयंत्र प्रभावित हो सकते थे।
स्थानीय लोगों में भी दहशत
घटना के बाद आसपास के रहवासियों और कर्मचारियों में दहशत का माहौल है। लोग पूछ रहे हैं कि इतनी बड़ी तकनीकी चूक कैसे हुई और जिम्मेदारी किसकी है।





