कोरबा में बेलगाम रेत माफिया का खेल: एक रसीद पर 200 ट्रैक्टरों का अवैध परिवहन, प्रशासन मौन




त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ जिले में रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन का धंधा दिन-ब-दिन और भी अधिक संगठित और बेलगाम होता जा रहा है। प्रशासनिक चुप्पी और राजनैतिक संरक्षण के चलते रेत माफिया अब खुलकर कानून को चुनौती दे रहे हैं।
कुदुरमाल क्षेत्र इस अवैध कारोबार का प्रमुख केंद्र बन चुका है, जहां एक बाहरी जिले का व्यापारी केवल एक वैध रॉयल्टी रसीद पर पूरे दिन 200 रुपये प्रति ट्रैक्टर की दर से रेत की तस्करी कर रहा है।
रेत चोरी के बदनाम गांव:
- इस पूरे नेटवर्क में सीतामणी, भिलाईखुर्द, बरबसपुर, कुदुरमाल, बांकीमोंगरा, और जुराली जैसे गांव अब रेत की चोरी के अड्डे बन चुके हैं। वहीं, मोती सागर पारा, भिलाई गेट, और असली क्षेत्र में अवैध रेत भंडारण खुलेआम किया जा रहा है।
इन इलाकों में न ही पर्यावरणीय स्वीकृति, न ही वैध रॉयल्टी रसीदें, सिर्फ माफिया राज चलता दिख रहा है।
माफिया का दबदबा और फाइनेंस का खेल:
रेत के इस अवैध व्यापार में भारी मुनाफा होने के कारण कई स्थानीय लोगों ने फाइनेंस पर ट्रैक्टर और टिपर खरीद लिए हैं। प्रभावशाली लोगों से मिलीभगत, टैग सेटिंग और राजनीतिक रसूख के दम पर यह कारोबार बिना किसी डर के फल-फूल रहा है।
राजनीति बनाम ईमानदारी:
इस पूरे मामले ने उस वक्त नया मोड़ लिया जब वार्ड 9 के पूर्व पार्षद सुफलदास और वर्तमान पार्षद राधा महंत के घर के बाहर ट्रैक्टर चालकों की भीड़ जुट गई।
आरोप है कि प्रशासनिक अधिकारियों को रिश्वत देकर अवैध रेत परिवहन निर्बाध चल रहा है। वहीं, पूर्व पार्षद सुफलदास ने जब नियमों की बात की, तो उन्हें ही झूठे आरोपों का सामना करना पड़ा।
पूर्व पार्षद सुफलदास की प्रतिक्रिया:
सुफलदास ने कहा, “मैं पिछले 10 वर्षों से ईमानदारी से जनता की सेवा कर रहा हूं। मैंने कभी किसी से न तो अवैध पैसा लिया और न ही किसी गलत काम में संलिप्त रहा। जब मैंने नियमों की बात की, तभी मेरे खिलाफ अफवाहें फैलाई जाने लगीं।”
वार्ड में ट्रैक्टर हादसों की बाढ़:
वार्ड 9 की वर्तमान पार्षद राधा महंत ने एक औपचारिक पत्र के माध्यम से मांग की है कि —
- ट्रैक्टरों की संख्या सीमित की जाए,
- केवल लाइसेंसधारी चालकों को अनुमति मिले,
- सभी वाहनों पर स्पष्ट नंबर प्लेट हो,
- रेत परिवहन के समय ट्रैक्टरों की गति पर सख्त नियंत्रण रखा जाए।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में हाल के दिनों में कई ट्रैक्टर दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिससे स्थानीय लोगों की सुरक्षा खतरे में है।
200 ट्रैक्टर, अवैध दुकानों का खुला नेटवर्क:
गौ माता चौक के पास लगभग 200 ट्रैक्टरों की अवैध दुकानें सक्रिय हैं, जिनके मालिक खुलेआम स्वीकार कर रहे हैं कि वे रेत के गैरकानूनी धंधे में शामिल हैं।
इसके बावजूद, प्रशासन ने अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं की है, जिससे ईमानदारी से कार्य कर रहे जनप्रतिनिधि और आमजन खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं।
प्रशासनिक निष्क्रियता और po .संरक्षण:
हालांकि कुछ स्थानों पर सुपरमार्केट रॉयल्टी काउंटर खुले हुए हैं, लेकिन उन्हें केवल दिखावे के लिए संचालित किया जा रहा है।
प्रभावशाली लोगों द्वारा रॉयल्टी जारी करवाने के लिए अधिकारियों पर दबाव बनाया जा रहा है, जिससे पूरा तंत्र प्रशासनिक निष्क्रियता और साठगांठ का प्रतीक बन गया है।
निष्कर्ष:
रेत माफिया की बेलगाम गतिविधियां न केवल कानून-व्यवस्था, बल्कि पर्यावरण, जन-सुरक्षा और सामाजिक संरचना को भी नुकसान पहुंचा रही हैं। यदि प्रशासन शीघ्र हस्तक्षेप नहीं करता, तो यह अवैध कारोबार एक अपराध उद्योग बनकर उभरेगा।
अब सवाल यह है – क्या प्रशासन आंखें खोलेगा या यह ‘सुनियोजित चुप्पी’ यूं ही चलती रहेगी?
