चैत्र नवरात्रि में श्री हित सहचरी सेवा समिति का दिव्य भक्ति महोत्सव




नीरू राय के नेतृत्व में गूंजा राम नाम, जस गीतों पर थिरकी श्रद्धा, मातृशक्ति की सहभागिता से सजी अनूठी संध्याएं
त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ चैत्र नवरात्रि का पावन अवसर, और उस पर श्री हित सहचरी सेवा समिति द्वारा आयोजित नौ दिवसीय संध्या सुंदरकांड श्रृंखला — यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि राम भक्ति की वह अखंड धारा बन गई, जिसने क्षेत्र के कण-कण को आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर कर दिया।
समिति की प्रेरणास्रोत व श्रद्धा की साकार प्रतिमा श्रीमती नीरू राय के नेतृत्व में इस श्रृंखला की शुरुआत हुई, और फिर राम नाम की ऐसी गूंज उठी कि हर द्वार पर दीप जले, हर ह्रदय में भक्ति जगी। घर-घर जाकर सुंदरकांड पाठ, भजनों, जस गीतों और भावनात्मक नृत्यों की जो अनुपम झड़ी लगी, उसने श्रद्धालुओं को भक्ति-सागर में पूर्णत: डुबो दिया।
श्रीमती श्वेता राय का आत्मीय, समर्पित सहयोग इस श्रृंखला की गरिमा को और ऊँचाइयों तक ले गया। संयोजन से समन्वय तक, उनकी सेवा भावना आयोजन की आत्मा बनी रही।
भक्ति, समय और सेवा का दिव्य संगम:
इस आयोजन की विशेषता केवल इसका धार्मिक स्वरूप नहीं थी, बल्कि यह एक ऐसा संस्कारिक पर्व बन गया, जिसमें समय पर उपस्थिति, सेवा भाव और उत्सव में भागीदारी ने इसे जन-जन का उत्सव बना दिया।
समिति की समर्पित मातृशक्तियों ने न केवल समय पर संध्या की शोभा बढ़ाई, बल्कि अपने पारिवारिक उत्तरदायित्वों के साथ-साथ भक्ति में भी पूर्ण एकाग्रता दिखाई। उनका अनुशासन, समर्पण और भक्ति वास्तव में इस यज्ञ की पूर्णाहुति बन गए।
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भावनात्मक प्रस्तुतियां और जस गीतों की मधुरिमा:
सुंदरकांड पाठ के बाद जब जस गीतों की धुन बजती, तो वातावरण जैसे दिव्यता से भर उठता। परंपरागत वेशभूषा में सजी महिलाओं व बालिकाओं ने जब भाव नृत्य प्रस्तुत किए, तो ऐसा प्रतीत हुआ जैसे स्वयं भक्तियां, रमा और सीता रूप में उपस्थित हो गई हों। हर प्रस्तुति में समर्पण की गहराई और भावों की पवित्रता दर्शकों को भक्ति के सागर में बहा ले जाती थी।
समस्त परिवारों का अद्वितीय सहयोग:
यह आयोजन केवल समिति का नहीं, पूरे समुदाय का उत्सव बन गया। हर परिवार ने – चाहे आयोजन स्थल पर सेवा हो या घर से सहयोग – समय, श्रम और स्नेह से इस आयोजन को एक सामूहिक साधना बना दिया। बच्चों से लेकर वृद्धजनों तक, सभी ने एक स्वर में राम नाम का संकीर्तन किया और ‘राम काज’ में अपना योगदान दिया।
समर्पित मातृशक्ति का भक्ति रूप:
इस भक्ति महायज्ञ की प्राणशक्ति बनीं वे महिलाएं, जिन्होंने प्रेम, अनुशासन और निष्ठा से इसे दिव्य स्वरूप दिया।
मंजूलता गुप्ता, मीनाक्षी शर्मा, राजश्री पांडे, मीना ठाकुर, निव्या विनायक, श्वेता दुबे, प्रियंका सिन्हा, श्रद्धा कर्मी, रजनी श्रीवास्तव (शाह आंटी), भावना स्वर्णकार, पटेल आंटी, सलिका गोयल, प्रियंका वर्मा, मीनू पांडे, नेहा सिन्हा, किरण सिंह, विनीता सिंह, अंजना सिंह, अंशु सिंह, कविता, मेघा उपाध्याय, अर्चना सिंह, मीणा वनाफर, राजेश्वरी, दमयंती सिंह, गीता वरवली, गुड़िया सिंह, कुसुम, प्रभा नायक, आभा प्रसाद, राम उपाध्याय, रीना दुबे, रूप मन्नार, रानी जयसवाल और तुलसी — इन सभी ने समय पर सहभागिता, श्रद्धाभाव और सच्चे समर्पण से इस आयोजन को एक आध्यात्मिक पर्व में परिवर्तित कर दिया।
समापन की भक्ति लहर:
हर दिवस की संध्या का समापन सामूहिक आरती, प्रसाद वितरण और भजन-कीर्तन की गूंज से होता, जिससे क्षेत्र का हर कोना प्रेम, भक्ति और आनंद से भर उठता। यह आयोजन केवल पूजा नहीं, अपितु संस्कृति, सेवा और श्रद्धा का संगम बन गया।
श्री हित सहचरी सेवा समिति का यह प्रयास यह सिद्ध करता है कि जब भक्ति में प्रेम हो, सेवा में समय हो, और आयोजन में समर्पण हो — तब नवरात्रि जैसे पर्व केवल पूजन नहीं, जीवन के पुनः संस्कार का माध्यम बन जाते हैं।
