वक्फ संपत्तियों पर पारदर्शिता और न्याय की दिशा में ऐतिहासिक कदम: उप मुख्यमंत्री अरुण साव







नया वक्फ संशोधन कानून देश के गरीबों, आदिवासियों और सर्वसमाज के अधिकारों की सुरक्षा का दस्तावेज है
त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा रायपुर ****/ छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक 2024 के कानून बनने पर देशवासियों को बधाई देते हुए इसे संतुलित, पारदर्शी और समाज के सभी वर्गों के हित में उठाया गया ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकते हुए मुस्लिम समाज के गरीब तबकों, आदिवासियों, शासकीय भूमि और आम जनता की भूमि के अधिकारों की रक्षा करेगा।
कट्टरपंथी राजनीति नहीं, समरसता और न्याय की दिशा में कदम
श्री साव ने साफ शब्दों में कहा कि “यह कानून कट्टरपंथी वोटबैंक की राजनीति करने वालों के लिए झटका है और उन लोगों के लिए राहत है जो वर्षों से वक्फ बोर्ड के मनमाने दावों से त्रस्त थे। भाजपा सरकार इस कानून के माध्यम से सेवा और न्याय की भावना से प्रेरित होकर सभी वर्गों की भावनाओं और अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित कर रही है।”
विधेयक में किए गए प्रमुख संशोधन – पारदर्शिता और संतुलन की स्थापना
उप मुख्यमंत्री श्री साव ने विधेयक में हुए प्रमुख संशोधनों को उदाहरण सहित स्पष्ट करते हुए बताया:
- महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व:
पहले वक्फ परिषद में केवल पुरुष सदस्य होते थे, लेकिन अब कम से कम 2 मुस्लिम महिलाओं को अनिवार्य रूप से शामिल करना होगा, जिससे लैंगिक समानता को बल मिलेगा। - संपत्ति पर मनमानी रोक:
पहले वक्फ बोर्ड किसी भी भूमि पर बिना साक्ष्य के दावा ठोक सकता था। अब किसी भी दावे से पहले साक्ष्य और वैधता की अनिवार्यता तय की गई है। - सरकारी संपत्ति पर रोक:
अब सरकारी जमीनों को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकेगा, जिससे सरकारी परियोजनाओं और विकास योजनाओं को सुरक्षा मिलेगी। - विधिक अधिकारों की रक्षा:
पहले वक्फ ट्रिब्यूनल का निर्णय अंतिम होता था, लेकिन अब कोई भी व्यक्ति ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ 90 दिन के भीतर उच्च न्यायालय में अपील कर सकेगा। - संपत्ति रजिस्ट्रेशन व्यवस्था में सुधार:
सभी वक्फ संपत्तियों को जिला मुख्यालय में अनिवार्य रूप से रजिस्टर करना होगा, जिससे स्थानीय स्तर पर पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। - विशेष समुदायों को प्रतिनिधित्व:
अब बोहरा और आगाखानी समुदायों के लिए अलग वक्फ बोर्ड बनाए जाएंगे, जिससे धार्मिक स्वतंत्रता और विविधता को संरक्षण मिलेगा। - सामाजिक समावेशन:
अब शिया-सुन्नी के अलावा अन्य पिछड़े मुस्लिम वर्गों से भी सदस्य बनाए जाएंगे, जिससे समावेशी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होगा। - सांसदों का गैर-पक्षपाती चयन:
अब सेंट्रल वक्फ काउंसिल में 3 सांसद (2 लोकसभा, 1 राज्यसभा) मुस्लिम होना अनिवार्य नहीं, जिससे राजनीतिक संतुलन कायम होगा।
वक्फ संपत्तियों के आंकड़े और महत्व
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि देश में वक्फ की लगभग 9.4 लाख एकड़ जमीन है, जिसकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपए है। उन्होंने कहा कि यह इतनी विशाल संपत्ति है कि इसका उपयोग अगर पारदर्शिता से किया जाए तो यह शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक विकास में क्रांति ला सकता है।
जनजातीय क्षेत्रों की सुरक्षा की गारंटी
श्री साव ने कहा कि शेड्यूल 5 और 6 के तहत आने वाले क्षेत्रों में वक्फ संपत्ति घोषित नहीं की जा सकेगी, जिससे आदिवासी समुदायों की भूमि और अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित होगी।
वक्फ बोर्ड की मनमानी पर सख्त संदेश
श्री साव ने कहा, “वक्फ बोर्ड की मनमानी इस हद तक बढ़ गई थी कि ताजमहल तक पर वक्फ का दावा किया गया। यह कानून उन सारे अनावश्यक और अनुचित दावों पर रोक लगाएगा और एक संतुलित व्यवस्था की स्थापना करेगा।”
संविधान और समाज के हित में निर्णायक कदम
श्री साव ने कहा कि यह ‘विकास बनाम वोटबैंक’ की लड़ाई है। भाजपा सरकार ने यह विधेयक पास कर यह सिद्ध कर दिया है कि हम राष्ट्रहित और समाजहित को सर्वोपरि रखते हैं, न कि किसी वर्ग विशेष की तुष्टिकरण राजनीति को





