कुसमुंडा कोरबा मुख्य मार्ग में आये दिन लगने वाले जाम से आज भी लोगो को निजात नही मिल पाई है ।




लोगो को भारी वाहनों के बीच अपनी जान जोखिम में डाल कर निकलना पड़ रहा है । कलेक्टर के आदेश के बाद दो से तीन दिन ही आम लोगो को जाम से निजात मिल पाई थी । पर रेलवे फाटक के पास स्थिति जस की तस बनी हुई है जिसपर अधिकारी ध्यान नही दे रहे है ।
कुसमुंडा कोरबा मार्ग को अतिक्रमण मार्ग कहे तो शायद अतिसंयोक्ति नही होगी । जिस तरह से कुसमुंडा खदान में कोयला परिवहन के लिए भारी वाहनों की बाढ़ आ गई है कि प्रबंधन आम लोगो की समस्या को पूरी तरह से भूलकर अपने कोयला खदान में उत्पादन में प्रथम स्थान हासिल करने में लगा हुआ है । आये दिन लोगो को अपने घर से निकलते ही दुर्घटना की आसंका के बीच परिवहन करना पड़ रहा है ।
इस मामले में लंबे समय से मीडिया के माध्यम से जिला प्रशासन और एसईसीएल प्रबन्धन का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया जा रहा है । जिसके फलस्वरूप कलेक्टर ने एसईसीएल वाहन मालिकों की बैठक ली थी जिसमे कुसमुंडा कोरबा मुख्य मार्ग में जाम की स्थिति से निजात दिलाये जाने को लेकर चर्चा हुई थी ।
चर्चा के दो तीन दिन ही आम लोगों को राहत मिली थी उसके बाद स्थिति जस की तस नजर आ रही है । भारी वाहन चालक मनमाने तरीके से वाहनों को मुख्य मार्ग में लगाकर जाम की स्थिति को निर्मित कर रहे है । वाहन चालकों से वाहनों को सही तरीके से लगाने को कोई कहे तो वाहन चालक उसके साथ ही उलझने लग जा रहे है ।
स्थिति ऐसी निर्मित हो गई है कि भारी वाहनों से सड़क में पैदल चलना भी दूभर हो गया है । इस मामले में अब स्थानीय पुलिस ने भी अपना हाथ खींच लिया है । जिले में आचार संहिता लागू होने के बाद पुलिस का काम बढ़ गया है ऐसे में पुलिस जाम को खुलवाने अपना समय नही दे पा रही है । वाहनों के चालको के कारण जाम की स्थिति बन रही है । इसके बारे में जिला प्रशासन को भी जानकारी है ।
लेकिन जिला प्रशासन भी ऐसे वाहनों पर कार्यवाही करने सामने नही आ रही है । यातायात पुलिस को ऐसे समय मे व्यवस्था को संभालना चाहिये तो यातयात पुलिस के जवान वाहन चालकों के चेकिंग में व्यस्त है । भारी वाहनों के साथ दो पहिया वाहनों को भी अपनी जद में लेकर चालानी कार्यवाही में लगे हुए है । उनको जाम से हो रही दिक्कतों से कोई सरोकार नही है ।
