एसईसीएल गेवरा में भू-विस्थापितों का फट पड़ा गुस्सा: मुआवजा न मिलने पर नग्न प्रदर्शन की चेतावनी, प्रबंधन की वादा-खिलाफ़ी से उबल रहा गुस्सा!”






त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा *****/ कोरबा एसईसीएल-गेवरा प्रबंधन की वादा-खिलाफ़ी और वर्षों से लंबित पड़े मुआवजा-पुनर्वास के मामलों ने आखिरकार दो भू-विस्थापित परिवारों को सत्याग्रह के लिए सड़कों पर बैठने को मजबूर कर दिया। शुक्रवार को गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय के अंदर स्थित श्रमिक मूर्ति के सामने करीब तीन घंटे तक भू-विस्थापितों ने शांतिपूर्ण लेकिन तीखा सत्याग्रह किया।
जोहनराम निर्मलकर और ललित महिलांगे अपने परिवारों सहित प्रदर्शन पर बैठे रहे और स्पष्ट कहा कि—
“एसईसीएल ने हमारी जमीन ली, मकान लिया… लेकिन आज भी हमें हमारा हक नहीं मिला। रोज-रोज दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते अब सब्र जवाब दे रहा है।”
वादों पर खरा नहीं उतरा एसईसीएल – भू-विस्थापितों का आरोप
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि एसईसीएल ने अधिग्रहण के समय मुआवजा, बसाहट, एग्रेशिया राशि और परिजनों को रोजगार देने का आश्वासन दिया था। लेकिन वर्षों गुजर जाने के बाद भी उनकी फाइलें धूल खा रही हैं।
जोहनराम निर्मलकर ने बताया कि उन्होंने एक मकान अपनी पुत्री के नाम नापी कराया था। बेटी की मृत्यु को दो वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन मकान का मुआवजा आज तक जारी नहीं हुआ।
उन्होंने चेतावनी दी—
“अगर मेरी नातिन को उसका वैध मुआवजा नहीं मिला, तो हम वही मकान एसईसीएल को लौटा देंगे… कंपनी जिम्मेदार होगी हर परिणाम की।”
मुआवजा न मिला तो ‘नग्न प्रदर्शन’—एक सप्ताह की चेतावनी
ललित महिलांगे ने प्रबंधन को एक सप्ताह का अल्टीमेटम देते हुए कहा—
“अगर सात दिनों में मुआवजा जारी नहीं हुआ तो हम गेवरा कार्यालय परिसर में नग्न होकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। हमें शर्म नहीं… शर्म तो उन्हें आनी चाहिए जिन्होंने हमारा हक छीना है।”
उनकी यह चेतावनी क्षेत्र में चर्चा का बड़ा विषय बन गई है और सवाल खड़े कर रही है कि आखिर इतने वर्षों से भू-विस्थापितों की पुकार क्यों अनसुनी की जा रही है?
प्रबंधन तक पहुँचा भू-विस्थापितों का गुस्सा
तीन घंटे के सत्याग्रह के बाद दोनों परिवारों ने एसईसीएल प्रबंधन को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में वर्षों से लंबित मामलों के तुरंत और संतोषजनक समाधान की मांग की गई है।
भू-विस्थापितों ने साफ कहा—
“जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, संघर्ष जारी रहेगा। हम चुप नहीं बैठेंगे… हमें हमारा हक चाहिए, भीख नहीं।”
बड़ा सवाल — आखिर कब मिलेगा न्याय?
कोरबा क्षेत्र में यह विरोध एक बड़ा सवाल खड़ा करता है—
जब जमीन, मकान और जिंदगी का बड़ा हिस्सा दे चुके परिवार अब भी दर-दर भटक रहे हैं, तो क्या एसईसीएल प्रबंधन की जिम्मेदारी खत्म हो गई है?
क्यों नहीं सुनी जा रही है भू-विस्थापितों की आवाज?
कब जागेगा प्रबंधन?
एसईसीएल-गेवरा में भू-विस्थापन के मुद्दे पर यह वर्ष का सबसे तीखा और जोरदार विरोध माना जा रहा है, जिसने प्रबंधन को भी सोचने पर मजबूर कर दिया





