स्टेट बार चुनाव में बृजेश कुमार शुक्ला की करारी पटखनी — अधिवक्ताओं ने साफ संदेश दिया: “पुराना रिकॉर्ड काफी नहीं, अब काम चाहिए!”






त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ ३० सितंबर को आयोजित स्टेट बार अधिवक्ता परिषद चुनाव की मतगणना बिलासपुर स्थित स्टेट बार कार्यालय में लगातार जारी है। इसी चुनाव में कोरबा जिला न्यायालय से ९ अधिवक्ताओं ने अपनी दावेदारी पेश की थी। इनमें सबसे अधिक चर्चा में रहने वाले प्रत्याशियों में से एक बृजेश कुमार शुक्ला भी थे, जिन्होंने पहले दो बार परिषद सदस्य पद पर रहते हुए खुद को मजबूत दावेदार के रूप में प्रस्तुत किया था।
लेकिन १४ नवम्बर की गिनती ने उनकी पूरी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। चुनावी आंकड़ों ने यह साफ कर दिया कि इस बार अधिवक्ता समाज ने उन पर भरोसा जताने से इनकार कर दिया है।
कम मत मिलने के कारण श्री शुक्ला को गिनती के दौरान ही सीधे-सीधे एलिमिनेट कर दिया गया—यह स्थिति उनकी लोकप्रियता में आई तेज़ गिरावट को उजागर करती है।
प्रदेशभर के अधिवक्ताओं का कहना है कि शुक्ला अपने पिछले कार्यकालों में किसी ठोस उपलब्धि या जमीनी काम से अधिवक्ता समाज को प्रभावित नहीं कर पाए। दो कार्यकालों के बावजूद उनकी नेतृत्व शैली, सक्रियता और परिणामों को लेकर लगातार सवाल उठते रहे।
इसी असंतोष की वजह से इस बार अधिवक्ताओं ने शुक्ला को २५ सदस्यों की सूची से स्पष्ट रूप से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
चुनावी नतीजे इस बात का संकेत हैं कि:
“पद पर बैठने से काम नहीं होता, कार्य और संघर्ष का रिकॉर्ड होना चाहिए। अधिवक्ताओं ने इस बार सिर्फ नाम नहीं, बल्कि परफॉर्मेंस के आधार पर मत दिया है।”
कोरबा बार के कई अधिवक्ताओं का कहना है कि यह परिणाम आने वाले समय के लिए एक चेतावनी है—
“जो नेता बार का प्रतिनिधित्व करना चाहता है, उसे काम करके दिखाना होगा। पुराने चुनावों की जीत और पुरानी पहचान से अब कोई फायदा मिलने वाला नहीं।”
शुक्ला की हार ने अधिवक्ता समाज में एक ही मैसेज मजबूत कर दिया है—
“जिम्मेदारी का वजन उठाने में जो कमजोर पड़ेगा, उसे बार फिर से मौका नहीं देगा।”





