December 7, 2025

त्रिनेत्र टाईम्स

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सहायक संचालक नूतन सिदार विवादों में घिरीं, पत्रकार पर FIR और गिरफ्तारी की मांग से उठा प्रेस की आज़ादी पर बड़ा सवाल

 

रायपुर/रायगढ़/जशपुर। 
त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ जनसम्पर्क विभाग की सहायक संचालक नूतन सिदार एक बार फिर विवादों में आ गई हैं। इस बार मामला पत्रकारों की आज़ादी और लोकतांत्रिक अधिकारों से जुड़ा है।
नूतन सिदार ने रायगढ़ जिले के पत्रकार ऋषिकेश मिश्र के खिलाफ पुलिस अधीक्षक रायगढ़ को आवेदन देकर मानहानि का आरोप लगाया है। उन्होंने FIR दर्ज करने, मोबाइल जब्त करने और यहां तक कि गिरफ्तारी तक की मांग की है।
सोशल मीडिया से शुरू हुआ विवाद
नूतन सिदार का कहना है कि सोशल मीडिया पर उनकी फोटो और संदेशों को वायरल कर बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि –
👉 क्या हर आलोचना को दबाने के लिए पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारी की धमकी दी जाएगी?
👉 लोकतांत्रिक समाज में पत्रकार और आमजन सवाल पूछेंगे तो क्या उसका जवाब मुकदमे और एफआईआर होंगे?
आलोचना पर बर्दाश्त की कमी?
नूतन सिदार की शिकायत से यह साफ दिखाई देता है कि वह किसी भी आलोचना या टिप्पणी को सहन करने के लिए तैयार नहीं हैं। जबकि एक अधिकारी के नाते उनकी जिम्मेदारी पारदर्शिता और जवाबदेही से काम करने की है। लेकिन सोशल मीडिया की पोस्ट को “गंभीर आईटी एक्ट अपराध” बताकर गिरफ्तारी की मांग करना लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला माना जा रहा है।
अधिकारी या दबाव बनाने वाली?
नूतन सिदार ने जिस तरह सख्त कार्रवाई की मांग की है, उससे यह संदेश जा रहा है कि वह अपने पद का इस्तेमाल करके जनता और पत्रकारों की आवाज़ दबाना चाहती हैं। यह रवैया जनसम्पर्क विभाग के उद्देश्य के ही खिलाफ है, जिसका काम जनता और शासन के बीच सेतु का बनना है।
प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला
पत्रकार संगठनों ने इस प्रकरण को प्रेस की आज़ादी पर हमला बताया है। संगठनों का कहना है –
👉 “यदि हर पत्रकार को सच लिखने पर एफआईआर और गिरफ्तारी का डर दिखाया जाएगा, तो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ दबाव में आ जाएगा।”
विपक्ष और सामाजिक संगठन भी सक्रिय
यह मामला सामने आते ही विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने भी इसे बड़ा मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है। उनका आरोप है कि अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग कर आलोचना दबाने का प्रयास कर रहे हैं।
जनता के सवाल
क्या सोशल मीडिया पर आलोचना करना अपराध है?
क्या अधिकारी अपनी छवि बचाने के लिए जनता की आवाज़ दबा सकते हैं?
क्या नूतन सिदार का यह कदम पद के दुरुपयोग की श्रेणी में आता है?
क्या अब पत्रकारिता करना अपराध माना जाएगा?
चेतावनी और अगला कदम
स्थानीय पत्रकार संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने इस मामले में पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की, तो इसका जोरदार विरोध किया जाएगा।

इस पूरे मामले ने सहायक संचालक नूतन सिदार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि अधिकारी हर आलोचना करने वाले पर पुलिस केस दर्ज कराएंगे, तो लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी खतरे में पड़ सकती है।
👉 अब सबकी निगाहें पुलिस प्रशासन पर टिकी हैं कि वे जनता की आवाज़ का सम्मान करेंगे या अधिकारी के दबाव में कार्रवाई करेंगे।

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