December 7, 2025

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जेल से सरकार नहीं चला सकेंगे नेता,लोकसभा में पेश हुआ ऐतिहासिक संशोधन बिल

नई दिल्ली।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में तीन अहम विधेयक पेश किए,भारतीय संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025, केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025। इनका उद्देश्य राजनीति में नैतिक मानकों को बहाल करना और जेल में रहते हुए नेताओं को प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री पद पर बने रहने से रोकना है।

अमित शाह ने कहा कि हाल के वर्षों में देश ने यह विचित्र स्थिति देखी है कि कई मुख्यमंत्री और मंत्री जेल में रहते हुए भी सत्ता पर बने रहे। संविधान निर्माताओं ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि कोई नेता गिरफ्तारी के बाद भी नैतिकता का हवाला देकर इस्तीफा देने से इनकार करेगा।

बिल के प्रमुख प्रावधान

  1. जेल में रहते हुए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री नहीं रह सकेंगे।
  2. गिरफ्तारी की स्थिति में 30 दिनों का समय जमानत लेने के लिए मिलेगा।
  3. अगर 30 दिन में जमानत नहीं मिली तो 31वें दिन पद स्वतः ही खत्म हो जाएगा।
  4. बाद में जमानत मिलने पर संबंधित नेता फिर से पद संभाल सकता है।

शाह ने विपक्ष पर साधा निशाना

अमित शाह ने कांग्रेस और विपक्षी दलों के विरोध को जनता के सामने दोहरा चरित्र करार दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा प्रधानमंत्री को कानून से ऊपर रखा है, जबकि भाजपा प्रधानमंत्री और मंत्रियों को भी कानून के दायरे में लाने की नीति पर चल रही है।
उन्होंने इंदिरा गांधी के समय लाए गए 39वें संवैधानिक संशोधन का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय प्रधानमंत्री को विशेषाधिकार देकर कानूनी कार्रवाई से बचाने की कोशिश हुई थी।

व्यक्तिगत आरोप का जवाब

सदन में एक कांग्रेस नेता द्वारा लगाए गए आरोप पर शाह ने कहा कि जब कांग्रेस ने उन्हें झूठे मामले में फंसाकर गिरफ्तार किया था, तब उन्होंने गिरफ्तारी से पहले ही इस्तीफा दे दिया था और अदालत से बरी होने के बाद ही कोई पद संभाला।

जनता के सामने सवाल

अमित शाह ने कहा, “अब यह देश की जनता को तय करना है कि क्या जेल में रहते हुए कोई मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री सरकार चला सकता है? मोदी जी ने खुद को कानून के दायरे में लाने का संशोधन प्रस्तुत किया है और विपक्ष इसका विरोध कर रहा है।”

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बिल आने वाले समय में भारतीय राजनीति की नैतिक दिशा तय करेगा और सत्ता से जुड़े नेताओं को स्पष्ट संदेश देगा कि कानून से ऊपर कोई नहीं।

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