कोरबा जहर परोसी जा रही या शराब? शासकीय बोतल में जिंदा कीड़ा निकलने पर बवाल – आबकारी विभाग की लापरवाही पर फूटा गुस्सा




त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ कोरबा। जिले में शासकीय शराब दुकानों की लापरवाही ने एक बार फिर आम जनता की सेहत को खतरे में डाल दिया है। कटघोरा नगर की शासकीय देशी मदिरा दुकान से खरीदी गई शराब की बोतल में जिंदा कीड़ा मिलने से सनसनी फैल गई। रविवार को हुई इस घटना के बाद मौके पर मौजूद लोगों ने जमकर हंगामा किया और आबकारी विभाग पर गंभीर आरोप लगाए।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जब एक ग्राहक ने शराब की बोतल खरीदी और उसे खोलने से पहले ध्यान से देखा, तो उसमें काले रंग का कीड़ा तैरता नजर आया। यह दृश्य देखकर पहले तो वह स्तब्ध रह गया, लेकिन फिर गुस्से से आगबबूला हो उठा। उसने तुरंत बोतल को दुकान के सामने लाकर दिखाया, जिसके बाद मौके पर भीड़ जमा हो गई।
“हमारी थकान मिटाने वाली शराब अब जहर बन गई है”
गुस्साई भीड़ ने कहा कि हम लोग दिनभर की मेहनत के बाद तनाव कम करने के लिए शराब का सेवन करते हैं, लेकिन अब यह हमारे जीवन के लिए तनाव का कारण बन रही है। लोगों ने यह सवाल भी उठाया कि अगर बॉटलिंग प्लांट में सभी प्रक्रिया सुरक्षित तरीके से की जाती हैं, तो बोतल में कीड़ा कैसे पहुंचा?
आबकारी विभाग पर उठे गंभीर सवाल
स्थानीय नागरिकों ने आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर जमकर निशाना साधा। उनका कहना था कि विभाग केवल राजस्व वसूली पर ध्यान दे रहा है, लेकिन शराब की गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। भीड़ ने दुकान के बाहर नारेबाजी की और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले
गौरतलब है कि यह पहला मामला नहीं है। कोरबा जिले में इससे पहले भी शासकीय शराब दुकानों में मिलावटी शराब बेचने और बोतलों में अशुद्धियां पाए जाने की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। बावजूद इसके, विभाग द्वारा कोई सख्त कदम नहीं उठाए गए, जिससे आम जनता का आक्रोश और बढ़ गया है।
“ये शराब नहीं, धीमा जहर है” – आक्रोशित जनता
घटना के बाद क्षेत्रीय लोगों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि शासकीय शराब दुकानों में इस तरह की लापरवाही केवल आम जनता के जीवन से खिलवाड़ है।
वहीं, आबकारी विभाग के अधिकारी जांच का आश्वासन देते हुए मामले को शांत करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन लोगों का कहना है कि आश्वासन नहीं, उन्हें सख्त कार्रवाई और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही चाहिए।
