June 4, 2025

त्रिनेत्र टाईम्स

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त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा सरगुजा ****/ जिले के अंबिकापुर के नजदीक स्थित ग्राम किशुननगर पंचायत में लाखों रुपए के घोटाले का गंभीर मामला उजागर हुआ है। इस घोटाले में पंचायत के सरपंच और सचिव की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। आरोप है कि पिछले पांच वर्षों में पंचायत क्षेत्र में किसी भी तरह का विकास कार्य नहीं किया गया, जबकि सरकारी योजनाओं के तहत प्राप्त लाखों रुपए को निजी खातों में ट्रांसफर कर गबन कर लिया गया।

 

*पंचायत में विकास कार्य पूरी तरह ठप*

ग्राम पंचायत किशुननगर में पिछले पांच वर्षों से कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ है। न तो सड़कों की मरम्मत हुई, न ही नाली निर्माण, ना की किसी भी अन्य जनहित कार्य को अंजाम दिया गया। स्थानीय निवासियों का कहना है कि सरकारी योजनाओं के तहत जो भी बजट पंचायत को आवंटित किया गया, उसका उपयोग सरपंच और सचिव ने अपने निजी लाभ के लिए किया।

*निजी खातों में धन का हस्तांतरण*

जांच में पता चला है कि पंचायत के फंड से लाखों रुपए को सरपंच और सचिव द्वारा सीधे अपने निजी खातों में ट्रांसफर किया गया है। यह रकम उन योजनाओं के तहत मिली थी, जो गांव के विकास और जनहित के लिए बनाई गई थीं। लेकिन इस धन का उपयोग गांव के हित में नहीं हुआ। इसके परिणामस्वरूप गांव की जनता बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।

*जनता में रोष और आक्रोश*

ग्राम किशुननगर के निवासियों में इस घोटाले को लेकर भारी आक्रोश है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि पंचायत में कामकाज पूरी तरह ठप है और अधिकारियों ने उनकी शिकायतों को अनसुना कर दिया है। गांव के लोग अब उच्च प्रशासन से इस मामले में जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

 

*प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल*

यह घोटाला प्रशासन की निष्क्रियता और पारदर्शिता की कमी को भी उजागर करता है। यह सवाल उठता है कि कैसे लाखों रुपए का गबन बिना किसी प्रशासनिक निगरानी के संभव हुआ। यदि समय रहते इस मामले पर ध्यान दिया गया होता, तो यह स्थिति नहीं आती।

*भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की मांग*

गांव के लोग अब इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और पंचायत फंड का सही उपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि यदि प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया, तो वे धरना-प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे।

*पंचायत की दुर्दशा का असली चेहरा*

ग्राम पंचायत किशुननगर का यह मामला उन तमाम पंचायतों के लिए भी एक चेतावनी है, जहां जनता के अधिकारों और विकास कार्यों की अनदेखी की जा रही है। यह घोटाला केवल भ्रष्टाचार का मामला नहीं है, बल्कि यह उन लोगों की उम्मीदों पर भी कुठाराघात है, जिन्होंने अपने प्रतिनिधियों पर भरोसा किया था।

*आगे की राह*

इस मामले में प्रशासन को शीघ्रता से कार्रवाई करते हुए सरपंच और सचिव को जवाबदेह ठहराना चाहिए। साथ ही पंचायत फंड के सही उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए कठोर नियम और पारदर्शी प्रणाली अपनाई जानी चाहिए। केवल इसी तरीके से ग्राम पंचायतों में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त किया जा सकता है और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों को गति दी जा सकती है।

ग्राम किशुननगर के निवासियों की इस लड़ाई में प्रशासन और न्याय प्रणाली को उनके साथ खड़ा होना होगा। यह न केवल एक गांव, बल्कि पूरे सिस्टम को सुधारने का एक बड़ा अवसर है।

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