**“मैंने एक बोरी ली, मैसेज में 34 बोरी!”






मौहपाली के किसान भरत पटेल के नाम पर खाद सब्सिडी में बड़ा खेल, सिस्टम पर गंभीर सवाल**
त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा *****/ खरसिया | मौहपाली।
सरकार की खाद सब्सिडी योजना किसानों के लिए राहत बननी थी, लेकिन मौहपाली गांव से सामने आया मामला इसे फर्जीवाड़े का औजार साबित करता नजर आ रहा है। किसान भरत पटेल के नाम पर दर्ज खाद खरीद की एंट्री ने पूरे खाद वितरण और आधार आधारित बायोमेट्रिक सिस्टम की सच्चाई उजागर कर दी है।
किसान भरत पटेल का कहना है कि उन्होंने आधार कार्ड के जरिए अंगूठा लगाकर सिर्फ़ एक बोरी नीम कोटेड यूरिया खरीदी थी। लेकिन कुछ समय बाद उनके मोबाइल पर जो सरकारी मैसेज आया, उसने उन्हें स्तब्ध कर दिया।
मैसेज के अनुसार उनके नाम पर—
20 बोरी नीम कोटेड यूरिया (45 किलो)
14 बोरी एमओपी (50 किलो)
यानी कुल 34 बोरियों की खरीद दर्शाई गई है।
इतना ही नहीं, इस कथित खरीद का कुल बिल ₹26,810 बताया गया है, जबकि सरकार की ओर से किसान के नाम पर ₹33,993.60 की सब्सिडी दिखा दी गई है।
किसान भरत पटेल का बाइट
“मैंने सिर्फ़ एक बोरी यूरिया ली थी। न तो मुझे 34 बोरी खाद मिली और न ही मैंने कभी इतनी बड़ी खरीद की। मोबाइल में मैसेज देखकर मैं खुद हैरान रह गया। अगर मैंने नहीं लिया तो ये एंट्री किसने और कैसे की?”
किसान का साफ़ कहना है कि वह इस तरह की किसी भी बड़ी खरीद से अनजान है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या किसानों के आधार और बायोमेट्रिक डेटा का दुरुपयोग कर, उनके नाम पर फर्जी खरीद दिखाकर सरकारी सब्सिडी हजम की जा रही है?
यह मामला केवल एक किसान तक सीमित नहीं माना जा सकता। आशंका जताई जा रही है कि कागज़ों में किसानों को बड़ा खरीदार दिखाकर, असल में खाद कहीं और खपाई जा रही है और सब्सिडी का पैसा ग़लत हाथों में जा रहा है।
अगर समय रहते जांच नहीं हुई तो—
निर्दोष किसान कानूनी उलझनों में फँस सकते हैं,
और सरकार को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
अब सवाल कृषि विभाग और प्रशासन से है—
क्या यह तकनीकी गलती है या सुनियोजित घोटाला?
दोषियों पर कार्रवाई होगी या मामला फाइलों में दबा दिया जाएगा?
एक बोरी की खरीद,
रिकॉर्ड में 34 बोरी—
यह लापरवाही नहीं, सिस्टम से सीधा खेल है।
अब देखना है कि जांच होती है या फिर यह मामला भी बाकी फाइलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।





