December 22, 2025

त्रिनेत्र टाईम्स

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“बरगवां में मनाया गया अमर शहीद वीर नारायण सिंह जी का 168वाँ बलिदान दिवस—आदिवासी अस्मिता, संवैधानिक अधिकार, सांस्कृतिक गौरव और नशामुक्त समाज पर गूंजा चिंतन”

 

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त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा *****/   बरगवां, जिला जांजगीर–चांपा, 10 दिसम्बर 2025।
छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी, सत्य के मार्ग पर अडिग योद्धा और सर्व समाज के मसीहा अमर शहीद वीर नारायण सिंह जी की 168वीं बलिदान दिवस पर बरगवां में भव्य श्रद्धांजलि समारोह, सांस्कृतिक कार्यक्रम और विशाल विचार–गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम शहीद वीर नारायण सिंह विकास समिति एवं निर्माण समिति, विकासखंड अकलतरा के तत्वावधान में आयोजित हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में समाजजन, बुद्धिजीवी, जनप्रतिनिधि, युवा एवं छात्र–छात्राएं शामिल हुए।
समारोह में वीर नारायण सिंह जी के साहस, बलिदान, संघर्ष और आदिवासी अस्मिता को केंद्र में रखते हुए संवैधानिक अधिकारों, सामाजिक–शैक्षणिक जागरूकता, आर्थिक प्रगति, सांस्कृतिक संरक्षण और नशा उन्मूलन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गंभीर चर्चा हुई।

 

 

🎖️ कार्यक्रम के अतिथि मंडल (एक ही लाइन में सुव्यवस्थित)
मुख्य अतिथि – श्री रघुवीर सिंह मार्को (संरक्षक, आदिवासी शक्तिपीठ)
अति विशिष्ट अतिथि – श्री मोहन सिंह प्रधान (संरक्षक, आदिवासी शक्तिपीठ)
विशिष्ट अतिथि – श्री निर्मल सिंह राज (उपाध्यक्ष शक्तिपीठ), श्री सुभाष चंद्र भगत, श्री रमेश सिरका (संगठन प्रमुख), श्री एम.पी. सिंह तंवर (महासचिव शक्तिपीठ), श्री बी.एस. पैंकरा
जनप्रतिनिधि अतिथि – श्री महादेव नेताम (जिला पंचायत सदस्य, जांजगीर–चांपा), श्री महेंद्र सिंह ध्रुव (जनपद सदस्य बरगवां–खटोला), श्रीमती रामेश्वरी कंवर (जनपद सदस्य कटघरी), श्री तरुण नेम (अधीक्षण अभियंता मड़वा प्लांट), श्रीमती कुंजन बाई / भूषण सिंह (सरपंच, ग्राम पंचायत बरगवां)
सामाजिक अतिथि – श्री विनोद सिंह कंवर (महमंदपुर), श्री रामचरण सिंह कंवर (कोटगढ़), श्री शुक्रवार सिंह कंवर (खटोला), श्री महेश सिंह नेताम, श्री गोवर्धन सिंह कंवर (बरगवां), श्री शत्रुघ्न सिंह श्याम (अध्यक्ष केंद्रीय समाज), श्री मनहरण सिंह कंवर (अध्यक्ष कंवर समाज कटघरी), श्री परदेसी राम आयाम (झिरिया), श्री गुनाराम कंवर (ग्राम बाना)
विकास समिति प्रतिनिधि – डॉ. सी.पी. सिंह (संरक्षक), श्री लकेश्वर सिंह कंवर (अध्यक्ष), श्री मनहरण सिंह मरकाम (उपाध्यक्ष), श्री केदार सिंह ध्रुव, श्री एम.एल. मरावी (कार्यक्रम संयोजक, कटघरी)

 

 

🌺 श्रद्धांजलि एवं भव्य शोभायात्रा
कार्यक्रम की शुरुआत शहीद वीर नारायण सिंह जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण, पूजा–अर्चना और पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इसके उपरांत “शहीद वीर नारायण सिंह अमर रहें” के जयघोषों से गूंजती शोभायात्रा ने पूरे वातावरण को वीरगाथा के अद्भुत उल्लास से भर दिया।
मुख्य मंच पर सभी आदिवासी महापुरुषों, पूर्वजों और शूरवीरों के तेल-चित्रों पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई और छत्तीसगढ़ राज्य गीत के साथ कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ किया गया।
🎭 सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बांधा समा—नृत्य–नाटिका की गूंज से भाव-विभोर हुआ जनसमूह
हाई स्कूल की छात्राओं–छात्रों द्वारा प्रस्तुत वीर नारायण सिंह जी के जीवन, संघर्ष और बलिदान यात्रा पर आधारित नृत्य–नाटिका ने पूरे सभास्थल को देशभक्ति और गर्व की भावना से सराबोर कर दिया।
बीच-बीच में प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों, शहादत पर आधारित गीतों और पारंपरिक नृत्यों ने कार्यक्रम को भव्य और आकर्षक बना दिया, जिसे उपस्थित जनसमूह ने तालियों की गड़गड़ाहट से सराहा।

 

 

 

🎤 मुख्य अतिथि श्री रघुवीर सिंह मार्को का प्रेरक उद्बोधन
उन्होंने बच्चों से संवाद करते हुए शहीद वीर नारायण सिंह जी के ऐतिहासिक संघर्ष, आदिवासी योद्धाओं के योगदान और शिक्षा के महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने कहा—
“नयी पीढ़ी को इतिहास की सच्ची कहानियों को जानना चाहिए, क्योंकि शिक्षा ही समाज को नई दिशा और दृढ़ता देती है। आदिवासी वीरों के संघर्ष को देश के पराक्रम के रूप में स्थापित करना हमारा दायित्व है।”
🎤 अति विशिष्ट अतिथि श्री मोहन सिंह प्रधान का अद्वितीय ऐतिहासिक विश्लेषण
उनकी बातों ने पूरा सभास्थल मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा—
“1857 के विद्रोह को पहली लड़ाई कहा गया, लेकिन 1855 का संथाल हूल उससे भी बड़ा था—60,000 आदिवासी जुड़े और 15–20 हजार शहीद हुए। इतिहास ने इसे वह स्थान नहीं दिया, जिसका वह हकदार था।”
“आदिवासी समाज में बेटी–बेटी समान है, दहेज प्रथा नहीं। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की सच्ची प्रेरणा आदिवासी समाज से ही है।”
“जल–जंगल–जमीन केवल संसाधन नहीं—यह आदिवासी अस्मिता, आस्था और अस्तित्व का आधार हैं। इनके संरक्षण में ही मानवता की रक्षा संभव है।”
“जहां सवाल बंद होते हैं, वहीं गुलामी जन्म लेती है। इसलिए इतिहास को जानें, संस्कृति को पहचानें और पूर्वजों के संघर्ष को आगे बढ़ाएं।”
उन्होंने वीर नारायण सिंह, वीर गेंदसिंह नायक, और युगांधर गुंडाधुर जैसे महानायकों को इतिहास का वास्तविक स्तंभ बताया।
🎤 उपाध्यक्ष श्री निर्मल सिंह राज का उद्बोधन—‘प्रकृति पूजक’ आदिवासी संस्कृति का गौरव
उन्होंने कहा—
“हम प्रकृति पूजक हैं—पेड़ की तरह, जो पत्थर मारने पर भी फल देता है। हमारी संस्कृति देने वाली है, छीनने वाली नहीं। मानव जीवन तभी सुरक्षित है, जब प्रकृति सुरक्षित रहे।”
उन्होंने नशामुक्त समाज, नई पीढ़ी को शिक्षा से जोड़ने और पूर्वजों के आदर्शों को अमर बनाए रखने का आह्वान किया।
🏅 अतिथियों का सम्मान, आयोजन समिति की प्रशंसा और प्रेरक समापन
समारोह के अंत में—
सभी अतिथियों का पारंपरिक उपहारों से सम्मान,
नृत्य–नाटिका एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले बच्चों का पुरस्कार वितरण,
कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु समिति सदस्यों का आभार व्यक्त किया गया।
डॉ. सी.पी. सिंह, श्री केदार सिंह ध्रुव, श्री मनहरण सिंह मरकाम एवं कार्यक्रम संयोजक श्री एम.एल. मरावी ने प्रत्यक्ष–अप्रत्यक्ष सहयोग देने वाले सभी सामाजिक बंधुओं, कलाकारों, बच्चों, शिक्षकों और ग्रामवासियों को धन्यवाद दिया।
सभागार में उपस्थित जनसमुदाय ने इस ऐतिहासिक और गौरवशाली दिवस को अत्यंत अनुकरणीय, प्रेरक और अविस्मरणीय बताया।
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मोहन सिंह प्रधान
संरक्षक, आदिवासी शक्तिपीठ कोरबा, छत्तीसगढ़

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