December 7, 2025

त्रिनेत्र टाईम्स

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पौष माह में कैसे रखें अपना स्वास्थ्य? प्रसिद्ध नाड़ीवैद्य डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा ने बताए आहार–विहार के विशेष आयुर्वेदिक नियम

 

 

 त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/कोरबा, 07 दिसंबर 2025। हिंदी पंचांग के अनुसार पौष (पूस) माह का आरंभ 06 दिसंबर 2025 से हो चुका है, जो 03 जनवरी 2026 तक रहेगा। ठंड के इस चरम समय में स्वास्थ्य की दृष्टि से खान-पान और दिनचर्या में आवश्यक बदलाव बेहद जरूरी होते हैं। इसी संदर्भ में छत्तीसगढ़ प्रांत के ख्यातिलब्ध आयुर्वेद चिकित्सक एवं नाड़ीवैद्य डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा ने पौष मास में अपनाए जाने वाले विशेष आहार-विहार के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा कीं।

डॉ. शर्मा ने बताया कि भारतीय परंपरा में ऋतुचर्या—यानी ऋतुनुसार आहार-विहार—का विशेष महत्व रहा है। पौष माह हेमंत ऋतु का अंतिम चरण होता है, जब वातावरण अत्यधिक ठंडा होता है, दिन छोटे और रात्रि लंबी होती है। 21 दिसंबर को पड़ने वाला वर्ष का सबसे छोटा दिन भी इसी माह में आता है। ठंड और कोहरे के कारण शरीर में कफ संचय एवं वात दोष बढ़ने की संभावना रहती है, जिससे संधिशूल, खांसी, जुकाम, त्वचा रोग और वात-कफ जन्य व्याधियाँ बढ़ सकती हैं।

❄ पौष (पूस) माह में क्या करें?

डॉ. शर्मा के अनुसार इस माह में गुरु और स्निग्ध आहार का सेवन अत्यंत लाभकारी है।

अजवाइन, अदरक और लौंग का उपयोग पाचन एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।

दूध और मेवे (ड्राई फ्रूट्स) शरीर को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करते हैं।

चीनी के स्थान पर गुड़ का सेवन करना चाहिए।

इस महीने धनिया का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ा सकता है।

🍲 क्या खाएं

स्निग्ध आहार

दूध, मेवा

गुड़

अजवाइन, लौंग, अदरक

गेहूं, चावल, जौ

तिल के पदार्थ

🚫 क्या न खाएं

मांस-मदिरा

बैंगन, मूली

मसूर की दाल, उड़द दाल

फूलगोभी

चीनी

अत्यधिक तला हुआ भोजन

🌞 जीवनशैली में क्या अपनाएं

अभ्यंग (तेल मालिश)

स्निग्ध उबटन

आतप स्नान (धूप सेवन)

हल्के गुनगुने पानी से स्नान

शरीर को अच्छी तरह ढककर रखना

यथाशक्ति व्यायाम करना

क्या न करें

दिन में शयन (सोना)

रात्रि जागरण

बेसमय स्नान

तीव्र ठंडी हवाओं के संपर्क में आना

डॉ. शर्मा ने बताया कि हेमंत ऋतु शक्ति संचय की ऋतु मानी गई है। इसलिए पौष मास में च्यवनप्राश, अश्वगंधा पाक, बादाम पाक, आंवला, विदारीकंद, शतावर, अकरकरा तथा गोंद के लड्डू जैसे आयुर्वेदिक रसायनों का प्रयोग कर वर्षभर के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है।

आयुर्वेद के इन सरल और प्रभावी नियमों को अपनाकर पौष माह में स्वयं को पूर्णतः स्वस्थ और ऊर्जावान रखा जा सकता है।

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