मैनपाट में बक्साइट खदान पर जनविस्फोट ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, जनसुनवाई में पंडाल उखाड़कर प्रशासन को भागने पर मजबूर किया






मैनपाट में बक्साइट खदान पर जनविस्फोट
ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, जनसुनवाई में पंडाल उखाड़कर प्रशासन को भागने पर मजबूर किया
त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ कोरबा अम्बिकापुर।
छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध पर्यटन स्थल मैनपाट में प्रस्तावित बक्साइट खदान विस्तार को लेकर रविवार को भीषण बवाल मच गया। कंडराजा और उरगा क्षेत्र के हजारों आक्रोशित ग्रामीण नर्मदापुर मिनी स्टेडियम में आयोजित जनसुनवाई में पहुँचते ही उग्र हो गए और देखते ही देखते पूरा पंडाल उखाड़ डाला। प्रशासनिक तैयारियाँ, पुलिस बल की मौजूदगी और अधिकारियों के प्रयास ग्रामीणों के गुस्से के सामने ध्वस्त हो गए।
मैनपाट के प्राकृतिक संतुलन और अस्तित्व पर खतरे का आरोप लगाते हुए ग्रामीण सुबह से ही भारी संख्या में पहुँचे थे। उनका कहना था कि पहले से संचालित बक्साइट खदानों ने जमीन की उर्वरता को खत्म कर दिया है, जलस्रोत सूख रहे हैं, भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है, और वन क्षेत्र लगातार घट रहा है। ग्रामीणों ने चेतावनी देते हुए कहा—“खदान विस्तार हमारे जल-जंगल-जमीन पर खुला हमला है, अब पीछे नहीं हटेंगे।”
विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व जिला पंचायत सदस्य रतनी नाग ने किया। उन्होंने मंच से ही प्रशासन और कंपनी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जनसुनवाई से पहले कुछ कर्मचारियों और कंपनी प्रतिनिधियों ने प्रभावित ग्रामीणों को शराब पिलाकर राय बदलने की कोशिश की। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को खत्म करने की खुली साजिश बताया।
‘छत्तीसगढ़ का शिमला’ कहलाने वाला मैनपाट अपनी हरियाली, जलवायु और वादियों के लिए प्रसिद्ध है। ग्रामीणों का कहना है कि खदान विस्तार से न केवल पर्यावरण तबाह होगा, बल्कि पर्यटन पर आधारित स्थानीय अर्थव्यवस्था भी ढह जाएगी। साथ ही इस क्षेत्र में हाथियों का सक्रिय विचरण क्षेत्र है और खनन विस्तार से मानव-वन्यजीव संघर्ष और बढ़ने का खतरा है।
जनसुनवाई स्थल पर माहौल देखते ही देखते तनावपूर्ण हो गया। पंडाल उखाड़ने के बाद ग्रामीणों के आक्रोश के कारण प्रशासन को कार्यक्रम तत्काल रोकना पड़ा। पुलिस बल मौके पर मौजूद था, लेकिन स्थिति को नियंत्रित करने में नाकाम रहा।
ग्रामीणों ने अंतिम चेतावनी देते हुए कहा कि यदि प्रशासन या कंपनी ने खदान विस्तार को आगे बढ़ाने की कोशिश की, तो वे मैनपाट बचाओ आंदोलन को बड़े स्तर पर छेड़ देंगे।
वहीं प्रशासन अब स्थिति की समीक्षा में जुटा है, लेकिन ग्रामीणों का स्पष्ट और हमला बोलने वाला संदेश है—
“मैनपाट की मिट्टी, जंगल और पर्यावरण की रक्षा के लिए हम किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।”





