December 22, 2025

त्रिनेत्र टाईम्स

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✨मोक्ष, धर्म और गीता उपदेश का पावन संगम: 1 दिसंबर को मनाई जाएगी मोक्षदा एकादशी एवं श्री गीता जयंती✨

 

त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ कोरबा। ।।ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की अत्यंत पुण्यदायी मोक्षदा एकादशी इस वर्ष 1 दिसंबर 2025, सोमवार को मनाई जाएगी। यह वही पावन तिथि है, जिस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्धभूमि में अर्जुन को धर्म, कर्तव्य और मोक्ष मार्ग का दिव्य ज्ञान देते हुए श्रीमद्भगवद् गीता का उपदेश दिया था। इसलिए इस पवित्र दिवस को श्री गीता जयंती के रूप में भी श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है।
एकादशी तिथि
प्रारंभ : 30 नवंबर 2025, रविवार रात्रि 09:29 बजे
समापन : 1 दिसंबर 2025, सोमवार सायं 07:01 बजे
उदया तिथि के अनुसार व्रत : 1 दिसंबर 2025, सोमवार
व्रत पारण : 2 दिसंबर 2025, प्रातः 06:58 से 09:09 बजे के बीच
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत, जप, दान और गीता पाठ से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से न केवल साधक के पापों का क्षय होता है, बल्कि पूर्वजों को भी मोक्ष प्राप्त होता है और पितृ दोष दूर होता है।
मोक्षदा एकादशी का महत्व
धर्मग्रंथों में वर्णित है कि इस व्रत का फल अनंत और अतुलनीय है। पितरों की मुक्ति और मोक्ष मार्ग के उज्ज्वल द्वार इस दिन विशेष रूप से खुलते हैं। इसी कारण गीता जयंती का यह पर्व ज्ञान, भक्ति और मोक्ष का संगम माना जाता है। इस तिथि का पुण्य अन्य तिथियों की तुलना में कई गुना अधिक माना गया है।
व्रत विधि
– दशमी तिथि की रात्रि से सात्विक भोजन; चावल का त्याग
– एकादशी प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा
– पीले पुष्प, पीले वस्त्र, धूप–दीप और तुलसी पत्र का अर्पण
– श्रीकृष्ण मंत्रों का जप तथा श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ
– विशेष रूप से गीता के 11वें अध्याय का पाठ अत्यंत पुण्यकारी
– दिनभर फलाहार और रात्रि जागरण का महत्व
– दान–पुण्य करने से अपार फल की प्राप्ति
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा
भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के उपरांत युधिष्ठिर को इस व्रत की महिमा बताते हुए कहा कि चंपा नगरी के वैखानक राजा ने अपने पितरों को स्वप्न में नरक-यातना भोगते देखा। पर्वत ऋषि के निर्देश पर राजा ने मोक्षदा एकादशी का व्रत किया और उसका पुण्य पितरों को समर्पित किया। व्रत के प्रभाव से उनके पितर नरक से मुक्त होकर स्वर्ग लोक को प्राप्त हुए। इसी कथा के आधार पर यह व्रत पितृ मुक्ति का विशेष साधन माना जाता है।
इस पावन अवसर पर नाड़ीवैद्य पंडित डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा ने सभी भक्तजनों को मोक्षदा एकादशी और श्री गीता जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुए व्रत, दान और गीता पाठ के महत्व को जनमानस तक पहुँचाया।
मोक्ष, ज्ञान और भक्ति का यह महान पर्व सभी के जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक प्रकाश लेकर आए।

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