छत्तीसगढ़ में भी पत्रकारों को फ्रंट लाइन वर्कर का दर्जा दिया जाए – रामचंद्र शर्मा





कोरोना से अब तक करीब 10 पत्रकारों की हुयी मौत
रायगढ़। छत्तीसगढ़ में अब तक कोरोना से दस से ज्यादा पत्रकारों की जानें जा चुकी हैं। फिर भी सरकार द्वारा पत्रकारों को फ्रंट लाईन वर्कर नहीं माना गया और न किसी परिवार को कोई मदद की गयी हैं। यह फिल्ड में काम करने वाले पत्रकारों के लिये चिंता की बात है कि यदि वे संक्रमित हो गये तो उनके परिवार का क्या होगा।
जिला प्रेस एसोसियेशन रायगढ़ ने मुख्य मंत्री भूपेश बघेल से पत्रकारों को तत्काल फ्रंट लाईन वर्कर का दर्जा दिये जाने के साथ ही पत्रकारों को कोरोना पीड़ित होने पर निशुल्क इलाज व पांच लाख की आर्थिक मदद दिये जाने कि मांग की है। अध्यक्ष रामचंद्र शर्मा ने कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को लिखे गये पत्र में कहा कि उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, व मध्यप्रदेश ने पत्रकारों को फ्रंट लाइन वर्कर का दर्जा दिया है। उसी तरह छत्तीसगढ़ में पत्रकारों को भी यह सुरक्षा दी जानी चाहिये। उन्होने कहा कि प्रेस जुड़े सभी वर्करों को इसमें शामिल किया जाना चाहिये। चाहे वे होकर हो या पेस्टर, ग्राफ़िक मैन, मशीनमेन या फोटोग्राफर, रिपोर्टर, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सभी कर्मचारी एवं वेब मीडिया के कर्मचारी हो सभी को बिना किसी भेदभाव के कोविड-19 टीकाकरण हेतु फ्रंट लाइन वर्कर की श्रेणी में शामिल किया जायें ताकी महामारी के इस दौर में पत्रकार सरकार के साथ अपनी भूमिका का बेहतर निर्वहन कर सकें। देश में पत्रकार ही हैं जो कोरोना सक्रमण के खतरों से लोगो को जागरूक कर रहे हैं और सरकार प्रशासन व जनता के बीच संवाद की स्थिति कायम करने में आपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। रामचंद्र शर्मा ने उम्मीद जताई है कि पूरी संवेदनशीलता के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस मांग को जल्द ही पूरा करेंगे।
