मृत्यु के बाद भी जीवन का उजाला: डॉ महीपत राय उपाध्याय के नेत्रदान से किसी अनजान को मिलेगी नई दृष्टि






त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ कोरबा “मृत्यु के बाद मेरी आंखें किसी और के जीवन का अंधेरा दूर करें”—इस मानवीय संकल्प को लेकर कोरबा के सुप्रसिद्ध आयुर्वेद चिकित्सक डॉ महीपत राय नंदलाल उपाध्याय इस नश्वर संसार को अलविदा कह गए, लेकिन उनका यह सपना उनकी मृत्यु के बाद भी जीवित रहा। परिजनों ने उनके संकल्प को पूरा करते हुए नेत्रदान कर ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया, जो समाज के लिए प्रेरणा बन गया है।
कोरबा, जिसने अब तक औद्योगिक, सामाजिक और विकास के कई रिकॉर्ड बनाए हैं, ने इस बार स्वास्थ्य और मानवीय संवेदना के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है। यह कोरबा का पहला ऐसा मामला है, जब किसी नागरिक के नेत्रदान का संकल्प मेडिकल कॉलेज कोरबा के चिकित्सकों के सहयोग से पूर्ण हुआ।
डॉ उपाध्याय के निधन के बाद उनकी पत्नी, पुत्र उमंग उपाध्याय एवं प्रपौत्र मनन ने उनके जीवनकाल में व्यक्त की गई इच्छा के अनुरूप नेत्रदान का निर्णय लिया। मेडिकल प्रक्रिया के तहत डॉ उपाध्याय के नेत्रों से कॉर्निया निकालकर उसे सुरक्षित रूप से बिलासपुर सिम्स भेजा गया, जहां किसी जरूरतमंद की आंखों में प्रत्यारोपित कर उसे नई रोशनी प्रदान की जाएगी।
डॉ उपाध्याय भारत विकास परिषद कोरबा के सम्माननीय सदस्य भी थे। उनके निधन के तुरंत बाद परिजनों ने परिषद के सदस्यों से संपर्क कर उनके नेत्रदान संकल्प को पूरा करने की इच्छा जताई। सूचना मिलते ही भारत विकास परिषद कोरबा के नेत्रदान–देहदान प्रकल्प प्रभारी महेश गुप्ता, अध्यक्ष कमलेश यादव, पूर्व अध्यक्ष मोहनलाल अग्रवाल, डी.के. कुदेशिया, कोषाध्यक्ष प्रेम रामचंदानी एवं प्रमोद पांडे शिवाजी नगर स्थित डॉ उपाध्याय के निवास पहुंचे।
इसके पश्चात मेडिकल कॉलेज कोरबा के नेत्र रोग विभाग से संपर्क किया गया। विभागाध्यक्ष डॉ मणि किरण कुजूर अपनी विशेषज्ञ टीम के साथ मौके पर पहुंचीं और सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूर्ण कर डॉ उपाध्याय के नेत्रों से कॉर्निया निकालकर उसे सुरक्षित किया।
डॉ कुजूर ने बताया कि मेडिकल कॉलेज कोरबा के डीन एवं अन्य अधिकारियों का इस कार्य में पूरा सहयोग रहा, जिससे समय पर यह पुण्य कार्य संभव हो सका। उन्होंने कहा कि जैसे ही सूचना मिली, टीम ने तत्परता से अपना कर्तव्य निभाया।
वरिष्ठ पत्रकार मनोज शर्मा, जो डॉ उपाध्याय के रिश्तेदार भी हैं, ने बताया कि यह नेत्रदान पूरी तरह से डॉ उपाध्याय की इच्छा के अनुरूप किया गया है और परिजनों ने अत्यंत साहस और संवेदनशीलता के साथ उनका संकल्प पूर्ण किया।
भारत विकास परिषद के नेत्रदान–देहदान प्रकल्प प्रभारी महेश गुप्ता ने डॉ उपाध्याय के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए इस पुनीत कार्य में सहयोग करने वाले सभी चिकित्सकों का आभार जताया। उन्होंने समाज से आह्वान किया कि डॉ उपाध्याय की तरह हर व्यक्ति को नेत्रदान एवं देहदान का संकल्प लेना चाहिए, ताकि मृत्यु के बाद भी हमारा शरीर किसी के जीवन में प्रकाश बन सके।
डॉ महीपत राय नंदलाल उपाध्याय के मरणोपरांत उनके परिजनों द्वारा लिए गए इस निर्णय की सर्वत्र सराहना हो रही है। उनके निवास पर उपस्थित लोगों में यह चर्चा का विषय रहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने नश्वर शरीर अथवा अंगों का दान कर जरूरतमंदों की जिंदगी रोशन करनी चाहिए। भारत विकास परिषद के आह्वान पर अमल करते हुए अब कई लोग नेत्रदान एवं देहदान के संकल्प पत्र भरने का मन बना रहे हैं।





