July 22, 2025

त्रिनेत्र टाईम्स

खबरें जरा हट के

कल रात तुम मेरे ख़्वाब में परी बनकर आई थी…

आज सुबह जब मैं जगा ऐसा लगा जैसे;
कल रात तुम मेरे ख़्वाब में परी बन कर आई थी।
क्या सच में वो सिर्फ ख्वाब था या कोई सच्चाई थी?
रात जो तुम मेरे ख्वाबों में परी बनकर आई हुई थी,
क्या वो सिर्फ तुम्हारी परछाई थी???

  1. कई रातों से में तेरी यादों में सोया नहीं था,
    कल रात भी मैं तेरे ख्यालों में खोया हुआ था।
    जब तुम ख़्वाब में आई कुछ शरमाई हुई थी,
    जब नज़रों से नज़रे मिल रही थी!
    तब भी तुम थोड़ा सकुचाई हुई थी।।
    पलकों में काजल लगाई हुई थी,
    होठों में लाली रंगाई हुई थी।।।
  2. पहनी थी परियों सी श्वेत घाघर(वस्त्र),
    जैसे बहता हो कोई दूध का सागर।
    तन से फूलों की खुशबू आती थी,
    शबनमी रूप तेरी छा जाती थी।।
    श्वेत वस्त्र में तुम ऐसी लग रही थी,
    जैसे कोई परी परिस्तान से उतरी हुई थी।।।
  3. आँखों में देखा तेरी दोनों जहान को,
    पलकों में तेरे मैं छाया हुआ था।
    लब तेरी कर रही थी मीठी प्यार की बातें,
    चंदा की चांदनी थी पुनम की रातें।।
    जब हम कर रहे थे मीठी प्यार की बातें,
    गा रही थी परियां भी पावन प्रेम की गीतें।।।
  4. महक रहा था जैसे सारा शमां,
    खिल रहे हों जैसे कलियां यहां।
    उन खिलती कलियों से जैसे खिल रहा था फूल,
    तुम भी खिलखिला रही थी जैसे सारे ग़म को भूल।।
    तेरी खिलखिलाती इठलाती बाहों में मैं भी झूम,
    तेरे सुग्घर गालों और तेरे लबों को चूम!
    गा रहा था जैसे कोई प्यार का तराना,
    ये रात भीगी-भीगी मौसम है ये सुहाना।।।
  5. जब थककर सो गई तुम मेरी बाहों के झूलों में,
    भौंरे भी गुनगुनाने लगे ताज़े खिले फूलों में।
    सूरज भी निकलकर जब आसमां तक पहुंच गया!
    और उसकी किरणें बादलों पर उछल रही थी,
    मैं चौंक उठा और कहा रात कुशल रही थी।।
    जब देखा अपनी बाहों में तुमको ना वहां पाया,
    मैंने कहा सूरज से तू आज जल्दी क्यूं आया।।।
  6. जब सोचा मैंने रात की बातें,
    तुम सो रही थी बाहों में और मैं देखता तुझे!
    लगता था तेरी बंद पलकें भी देखती मुझे।
    तेरे लब भी कह रहे हो जैसे ये मुझसे,
    क्यूं देखते हो इस तरह तुम घूरकर मुझे।।
  7. जब कर रहे थे हम मीठी प्यार की बातें,
    कैसे कटी पहर चार कैसे कटी रातें।
    कल फिर आऊंगी कहकर वो उड़कर चल दिए,
    कह उसे अलविदा मैंने ये मन में सोचा!
    कल रात जो तुम मेरे ख़्वाब में परी बनकर आई थी,
    क्या सच में वो सिर्फ ख़्वाब था या कोई सच्चाई थी??
    रात जो तुम मेरे ख्वाबों में आई हुई थी,
    क्या वो सिर्फ तुम्हारी परछाई थी!!!???

प्रवीण थॉमस “लक्की”…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.