July 22, 2025

त्रिनेत्र टाईम्स

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“नौतपा 2025: सूर्य की तीव्रता से तपेगा धरती का वातावरण, जानें इसका कारण, प्रभाव और कृषि व जीव-जंतुओं पर असर”

त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा****/  भारत में गर्मी के चरम पर पहुँचने वाली अवधि को ‘नौतपा’ कहा जाता है। यह हर वर्ष मई के अंत में आता है और नौ दिनों तक चलता है। वर्ष 2025 में यह काल 25 मई से शुरू होकर 2 जून तक रहेगा। इस अवधि के दौरान पृथ्वी पर सूर्य की किरणें सबसे तीव्र होती हैं और तापमान तेजी से बढ़ता है। यह प्राकृतिक प्रक्रिया न केवल मौसम को प्रभावित करती है बल्कि कृषि, स्वास्थ्य, पशु-पक्षी और वातावरण पर भी गहरा असर डालती है।


नौतपा क्यों आता है?

नौतपा का आगमन खगोलीय घटना पर आधारित है। हर वर्ष सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, तब नौतपा की शुरुआत होती है।
रोहिणी नक्षत्र को अत्यधिक उष्ण प्रभाव वाला माना गया है। सूर्य जब इसमें प्रवेश करता है, तो उसकी किरणें सीधी और तीव्र रूप में पृथ्वी पर पड़ती हैं, जिससे भीषण गर्मी महसूस होती है। यह घटना हर साल लगभग मई के अंतिम सप्ताह में होती है।


नौतपा का यही समय क्यों विशेष होता है?

  • इस समय पृथ्वी पर सूर्य लगभग सीधा स्थित होता है (उत्तर भारत के संदर्भ में)।
  • इस स्थिति में सूर्य की ऊष्मा पृथ्वी पर अधिक समय तक टिकती है और तापमान तेज़ी से बढ़ता है।
  • इससे वातावरण में नमी कम हो जाती है और आकाश साफ़ रहने लगता है, जो वर्षा की तैयारी का संकेत होता है।

नौतपा से होने वाले लाभ

1. मानसून के संकेतक के रूप में:

  • परंपरागत मान्यता है कि यदि नौतपा अधिक गर्म रहता है, तो वर्षा ऋतु में अच्छी बारिश होती है।
  • इससे किसानों को बेहतर फसल उगाने में मदद मिलती है।

2. स्वास्थ्य की दृष्टि से:

  • अधिक गर्मी से वायुमंडल में फैले रोगजनक सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं।
  • यह वातावरण को शुद्ध करता है।

3. कृषि के लिए लाभदायक:

  • खेतों में मौजूद अतिरिक्त नमी सूख जाती है, जिससे फसल की बुआई की तैयारी आसानी से होती है।
  • मिट्टी में उष्मा बढ़ने से बीजों के अंकुरण की प्रक्रिया सुचारू होती है।

4. पशु-पक्षियों के लिए प्रभाव:

  • अधिक तापमान से जल स्रोतों का सूखना एक समस्या है, लेकिन कुछ पक्षियों के लिए यह प्रजनन काल भी होता है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में किसान अपने पशुओं को ठंडी जगह रखते हैं और उन्हें तरल भोजन व पानी अधिक मात्रा में देते हैं।

नौतपा के दौरान होने वाली हानियाँ

  • मानव स्वास्थ्य पर असर:
    अधिक गर्मी से डिहाइड्रेशन, लू लगने, चक्कर आने व त्वचा रोगों की आशंका बढ़ जाती है।
  • पशु-पक्षियों पर असर:
    जल की कमी से पक्षियों को पीने के पानी की समस्या होती है। पशु चारा कम खा पाते हैं और दूध उत्पादन घटता है।
  • वातावरणीय प्रभाव:
    सूखे की स्थिति बन सकती है यदि मानसून देर से आए। पेड़-पौधों की वृद्धि धीमी हो जाती है।

क्या करें इस दौरान?

  • दिन में धूप से बचें, ठंडी जगह पर रहें।
  • पानी का अधिक सेवन करें।
  • पक्षियों के लिए घर की छत पर पानी रखें।
  • पशुओं को छायादार स्थान पर रखें और ठंडे पानी की व्यवस्था करें।
  • किसानों को चाहिए कि वे मिट्टी की नमी बचाने के उपाय करें।

नौतपा भले ही गर्मी का सबसे तीव्र दौर हो, परंतु इसका वैज्ञानिक, प्राकृतिक और पारंपरिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है। यह न केवल मानसून की तैयारी करता है, बल्कि संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन लाने का कार्य करता है। समझदारी और सावधानी के साथ इस समय का उपयोग किया जाए, तो इसके कई सकारात्मक लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।

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