“लखपति दीदी” नीलम सोनी: ‘गढ़ कलेवा’ से लिखी स्वाद, संस्कृति और सशक्तिकरण की नई इबारत




त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ कोरबा। परिस्थितियां चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर हौसले बुलंद हों तो सफलता की राह खुद बन जाती है। कोरबा जिले की श्रीमती नीलम सोनी ने यह कर दिखाया। उन्होंने साबित किया कि दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से कोई भी महिला सिर्फ अपने लिए ही नहीं, बल्कि समाज की सैकड़ों महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।
कटघोरा की रहने वाली नीलम सोनी का सफर भी चुनौतियों से शुरू हुआ। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। पति की अकेली कमाई से घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था। लेकिन उन्होंने हालात के आगे झुकने के बजाय बदलाव की राह चुनी। बेटी “श्रिया” के नाम पर उन्होंने ‘श्रिया स्व-सहायता समूह’ से जुड़कर अपने आत्मनिर्भरता के सपनों को उड़ान दी। यहीं से उनका जीवन नई दिशा में मुड़ गया।
बिहान योजना बनी संबल, ‘गढ़ कलेवा’ बनी पहचान
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित “बिहान” योजना ने नीलम सोनी के सपनों को पंख दिए। उन्होंने छह लाख रुपये का ऋण लेकर कटघोरा में “गढ़ कलेवा” नामक एक परंपरागत छत्तीसगढ़ी भोजनालय की शुरुआत की। शुरुआत आसान नहीं थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
आज “गढ़ कलेवा” न सिर्फ एक व्यवसाय है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर और स्वाद का प्रतीक बन गया है। यहां चीला, फरा, ठेठरी, खुरमी, अईरसा, चौसेला, तसमई, करी लड्डू, सोहारी सहित कई पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन परोसे जाते हैं। इसके साथ ही यहां मिलेट्स (मोटा अनाज) से बने हेल्दी विकल्प भी उपलब्ध हैं, जिससे लोगों को पारंपरिक स्वाद और स्वास्थ्य दोनों का लाभ मिल रहा है।
200 महिलाओं को मिला रोजगार, आदिवासी समुदाय की महिलाएं भी सशक्त
नीलम सोनी ने अपने सफर में अकेले उड़ान नहीं भरी। आज उनके समूह से करीब 200 महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इनमें से 20 महिलाएं सीधे “गढ़ कलेवा” में काम कर रही हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने पीवीटीजी बिरहोर जनजाति की महिलाओं को भी अपने समूह में जोड़ा, जो पहले आजीविका के अवसरों से वंचित थीं। अब ये महिलाएं भी आत्मनिर्भरता की राह पर हैं।
सालाना टर्नओवर 12 लाख, सपनों की उड़ान जारी
चार साल पहले सिर्फ आत्मनिर्भर बनने की चाह से शुरू हुआ यह सफर आज 1.5 लाख रुपये मासिक और करीब 12 लाख रुपये सालाना टर्नओवर तक पहुंच चुका है। नीलम जी कहती हैं, “मुझे सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि मैं अकेली नहीं बढ़ी, मेरे साथ मेरी बहनों का पूरा परिवार भी आगे बढ़ा है।”
सरकार और प्रशासन का जताया आभार
नीलम सोनी ने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय, छत्तीसगढ़ शासन और जिला प्रशासन कोरबा का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “अगर शासन की योजनाओं और अधिकारियों का सहयोग न मिला होता, तो मैं और मेरे जैसी सैकड़ों महिलाएं आज भी घर की चार दीवारों तक सीमित होतीं। बिहान ने हमें सिर्फ आत्मनिर्भर नहीं बनाया, बल्कि हमारे आत्मविश्वास को भी मजबूत किया।”
आगे का सपना – हर जिले में ‘गढ़ कलेवा’ और और भी “लखपति दीदी”
अब नीलम सोनी चाहती हैं कि “गढ़ कलेवा” का मॉडल छत्तीसगढ़ के हर जिले में स्थापित हो। वे चाहती हैं कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं इस पहल से जुड़ें और आत्मनिर्भर बनें। वह कहती हैं कि यह केवल व्यवसाय नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति को पूरे देश में पहचान दिलाने का एक प्रयास है।
उनकी यह प्रेरक कहानी साबित करती है कि महिला सशक्तिकरण केवल नारेबाजी नहीं, बल्कि सही नीति और संकल्प से हकीकत में बदला जा सकता है।
