“गरीबों के लिए चले सिटी बसें, ना कि ठेकेदारों के मुनाफे के लिए: विनोद सिन्हा ने उठाई आवाज”




त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ सामाजिक कार्यकर्ता विनोद सिन्हा ने कोरबा के कलेक्टर और नगर पालिक निगम आयुक्त को पत्र लिखकर सिटी बसों के संचालन में पारदर्शिता और जनहित सुनिश्चित करने की मांग की है। उन्होंने आग्रह किया है कि नई सिटी बसों का संचालन ऐसे रूटों पर किया जाए जिससे गरीब, मजदूर, किसान और छात्र लाभान्वित हो सकें, ना कि केवल ठेकेदार की सुविधा और लाभ को प्राथमिकता दी जाए।
विनोद सिन्हा ने बताया कि उन्होंने पूर्व में 1 जुलाई 2024 को सिटी बस रूट निर्धारण के लिए आवेदन किया था, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं हुई। इसके बाद 2 दिसंबर 2024 को कलेक्टर जनदर्शन में भी रूट की स्वीकृति की मांग रखी गई थी। बावजूद इसके, न तो कोई रूट सार्वजनिक किए गए और न ही पूर्व में कार्यरत बस चालकों और परिचालकों को उनका वेतन या पीएफ प्रदान किया गया।
40 इलेक्ट्रिक बसों का लाभ आम जनता तक पहुंचे
भारत सरकार द्वारा कोरबा जिले के लिए 40 इलेक्ट्रिक सिटी बसें स्वीकृत की गई हैं। लेकिन सिन्हा का आरोप है कि रूट निर्धारण की जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है, जिससे यह आशंका उत्पन्न हो रही है कि इन बसों का संचालन भी पूर्व की तरह ठेकेदार द्वारा मनमाने रूटों पर किया जाएगा।
विनोद सिन्हा ने यह भी कहा कि यदि ये बसें ठेकेदार के फायदे के रूट पर चलाई गईं तो भारत सरकार की सस्ती यात्रा योजना का असल लाभ गरीब, किसान, मजदूर और छात्र वर्ग तक नहीं पहुंच पाएगा। उन्होंने मांग की कि पूर्व में प्रस्तुत किए गए रूटों को सार्वजनिक किया जाए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि ये बसें जनहित के लिए हैं या सिर्फ मुनाफे के लिए।
पूर्व प्रस्तावित सिटी बस रूट विवरण (प्रथम पाली: सुबह 6:00 से शाम 6:30 बजे तक):
- 6 बसें: कोरबा-चांपा-कोरबा
- 4 बसें: कोरबा-कटघोरा-कोरबा
- 4 बसें: चांपा-बालको-बालको-चांपा
- 2 बसें: कोरबा-राजगामार (रविशंकर शुक्ल नगर, मुड़ापार होते हुए)
- 4 बसें: कोरबा-दीपका-कोरबा
- 4 बसें: कोरबा- बाकी मोगरा-कोरबा
- 4 बसें: कोरबा-पौड़ी उपरोड़ा-कोरबा
- 4 बसें: सियांग-उरगा-भैंसमा-करतला
- 2 बसें: कोरबा-सत्रेंगा-कोरबा (पर्यटन स्थल)
द्वितीय पाली (शाम 6:00 से रात 12:00 बजे तक):
रेलवे स्टेशन से ट्रेन टाइम के अनुसार चलने वाली बसें इन रूटों पर प्रस्तावित थीं:
चांपा, कुसमुंडा, गेवरा, दीपका, कोरबा, जमीनीपाली, बाकी मोगरा, सुराकछार, बालको, राजगामार, मुड़ापार, रविशंकर शुक्ल नगर, निहारिका, आईटीआई आदि।
सिन्हा की मांग:
- पूर्व में प्रस्तुत किए गए रूटों की जानकारी सार्वजनिक की जाए।
- सिटी बसें आम नागरिकों खासकर गरीबों, किसानों, मजदूरों और छात्रों के हित में संचालित हों।
- ठेकेदार की मनमानी रोकने हेतु निगरानी समिति गठित की जाए।
- पुराने चालकों और परिचालकों को वेतन और पीएफ का भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
विनोद सिन्हा का यह प्रयास यह दर्शाता है कि स्थानीय प्रशासन को नागरिकों की वास्तविक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर निर्णय लेने चाहिए। यदि सरकार की योजनाओं का लाभ आमजन तक न पहुँचे, तो वह योजना मात्र एक कागजी कार्यवाही बनकर रह जाती है। सिटी बसों का संचालन वास्तव में गरीबों की सुविधा के लिए होना चाहिए, ना कि केवल निजी लाभ के लिए।
