“अमरकंटक स्थित ज्वालेश्वर महादेव मंदिर में विराजमान स्वयंभू शिवलिंग, जोहिला नदी के उद्गम स्थल का धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व”


त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ अमरकंटक (जिला अनूपपुर, मध्यप्रदेश), 15 मई 2025
पवित्र नर्मदा पंचकोशी परिक्रमा तीर्थ क्षेत्र अमरकंटक में स्थित ज्वालेश्वर महादेव मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक अत्यंत पुण्यदायी एवं दिव्य स्थल है। यह मंदिर एक प्राकृतिक स्वयंभू शिवलिंग पर आधारित है, जिसे ‘बाणलिंग’ के नाम से भी जाना जाता है। इसका वर्णन स्कंद पुराण, वाल्मीकि रामायण, नर्मदा पुराण सहित अन्य धर्मग्रंथों में मिलता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, सतयुग में बाणासुर नामक दैत्यराज के पुत्र ने घोर तप से भगवान शिव को प्रसन्न किया और उन्हें यह दिव्य लिंग स्वरूप प्राप्त हुआ। तभी से यह स्थल ज्वालेश्वर महादेव के नाम से विख्यात है। मान्यता है कि इसी स्थान से जोहिला नदी का उद्गम होता है, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ मानी गई है।
ज्वालेश्वर धाम के महंत ज्ञानेश्वर पुरी जी महाराज के अनुसार, यह तीर्थ स्थल पितृ तर्पण, श्राद्ध कर्म तथा पिंडदान के लिए विशेष रूप से श्रेष्ठ माना गया है। स्कंद पुराण के अनुसार, यहाँ पितृ कार्य करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
दूसरे बैनर में जोहिला नदी की धार्मिक महिमा का वर्णन किया गया है। यह नदी पश्चिम दिशा की ओर बहती है और इसे ‘सर्वपाप विनाशिनी’ कहा गया है। इसके जल में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और मन को शांति प्राप्त होती है।
मंदिर का नव-निर्माण कार्य महंत ज्ञानेश्वर पुरी जी के निर्देशन में योजनाबद्ध रूप से जारी है, जिसमें श्रद्धालुओं से सहयोग की अपील की गई है। यह स्थल धार्मिक आस्था के साथ-साथ आध्यात्मिक साधना के लिए भी एक अनूठा केंद्र है।
स्थान की दूरी की जानकारी:
- कोरबा (छत्तीसगढ़) से दूरी: लगभग 120 किलोमीटर
- अमरकंटक मुख्य तीर्थ स्थल से दूरी: लगभग 7 किलोमीटर
संपर्क विवरण:
मंदिर निर्माण में सहयोग हेतु संपर्क करें:
महंत ज्ञानेश्वर पुरी जी महाराज
मोबाइल: 94064592981, 9424159234
स्थान: ज्वालेश्वर धाम, मां नर्मदा पंचकोशी परिक्रमा तीर्थ क्षेत्र, अमरकंटक, जिला – अनूपपुर (म.प्र.)
