माँ दुर्गा की अष्टमी पूजा: शक्ति साधना और परिवारिक समृद्धि का पर्व




त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ अष्टमी पूजा हिंदू धर्म में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से दुर्गा अष्टमी और कृष्णाष्टमी के रूप में। यह शक्ति, भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है, जिसमें माता दुर्गा की महाष्टमी की आराधना की जाती है। इसे परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक व्यक्तित्व के रूप में मनाया जाता है।
अष्टमी पूजा की विस्तृत विधि:
- स्नान और संकल्प: प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा का संकल्प लें।
- मां दुर्गा की पूजा: घर में स्थापित करें माता की प्रतिमा या चित्र और दीप जलाएं।
- व्रत और उपवास: भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और व्रत को फलाहार या विशेष प्रसाद ग्रहण करते हैं।
- गृह एवं मंत्रोच्चारण: दुर्गा सप्तशती, देवी कवच या अन्य मंत्रों का पाठ किया जाता है और धारण किया जाता है।
- कन्या पूजन: नौ कन्याओं को भोजन के लिए आमंत्रित किया जाता है, जो देवी दुर्गा के नौ सिद्धांतों के प्रतीक हैं।
- विशेष एवं प्रसाद भोग: माता को हलवा, पूरी, चने का भोग लगाया जाता है।
- आरती एवं समापन: माता की आरती के साथ पूजा का समापन होता है।
अष्टमी पूजा का विस्तृत महत्व:
- दुर्गा शक्ति का आशीर्वाद: माता दुर्गा की कृपा से मिलता है आत्मबल और सकारात्मक ऊर्जा।
- पारिवारिक कल्याण: घर में सुख-शांति बनी रहती है और नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं।
- संत की मंगलकामना: माता-पिता अपने बच्चों की सफलता और उन्नति के लिए करते हैं ये पूजा।
- बुरी शक्तियों का नाश: यह पर्व बुरी शक्तियों और बुरी नजर से बचाव में सहायक होता है।
परिवार में अष्टमी पूजा का महत्व:
भारतीय परंपरा में परिवार एक महत्वपूर्ण इकाई है, और अष्टमी पूजा पूरे परिवार के कल्याण और सुख-शांति के लिए की जाती है। इस दिन परिवार के सभी सदस्य एकजुट होकर पूजा-साहित्य करते हैं, जिससे मित्रवत प्रेम, विश्वास और आध्यात्मिक विकास होता है। विशेष रूप से माताएं अपने बच्चों के भविष्य की प्रार्थना करती हैं, और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं।
अष्टमी पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह आस्था, शक्ति और परिवार की एकता का पर्व भी है। इस दिन की गाथा जीवन में सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक क्रांति का सहायक है।
