वक्फ संशोधन विधेयक 2024 : आदिवासी भूमि अधिकारों की रक्षा में ऐतिहासिक फैसला – विकास मरकाम




त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ रायपुर। भारतीय जनता पार्टी जनजाति जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष विकास मरकाम ने केंद्र सरकार द्वारा जनमत संग्रह संशोधन, 2024 को जन जातीय समुदाय के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने वाला ऐतिहासिक कदम बताया है। उन्होंने कहा कि यह स्मारक विशेष रूप से 5वीं और 6वीं सूची में रहने वालों की भूमि की सुरक्षा सुनिश्चित करता है और उनकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने में मदद करता है।
बक्सवे से यजुबान भूमि पर विच्छेदन
विकास मरकाम ने कहा कि यह पर्यावरण मित्रता की पारंपरिक भूमि पर वक्फ बोर्ड द्वारा व्यवसाय पर रोक लगाने के लिए एक ठोस कदम है। अब गवर्नर और सिवान काउंसिल के किसी भी भूमि को वक्फ की संपत्ति की घोषणा के बिना मंजूरी नहीं दी जाएगी। इसके अलावा, मैकेनिक में धारा 40 को ही समाप्त कर दिया गया है , जिससे अब कोई भी भूमि वक्फ संपत्ति के आधार पर घोषित नहीं की जा सकेगी।
बुनियादी ढांचे की संस्कृति और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा
भाजपा नेताओं ने कहा कि इस साओक्साडे से जापानी समुदाय को अपनी संस्कृति और संस्कृति की रक्षा करने का कानूनी अधिकार मिलेगा। इस रसायन विज्ञानी नेक्सालैंड को सूचीबद्ध किया गया है कि उनकी जमीन की किसी भी बाहरी संस्था द्वारा जांच नहीं की जा सकती है।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे आदिवासी समुदाय के अधिकार की रक्षा के लिए जिम्मेदार हैं। यह गद्दार समुदाय अपनी जमीन पर पूर्ण स्वामित्व और अधिकार रखता है।”
राज्यपाल और स्वामी परिषदों को अधिक अधिकार
फ्लोरिडा के माध्यम से राज्य के गवर्नरों, स्वाई जिला परिषदों और जन सलाहकार सलाहकार परिषदों को अधिक अधिकार दिए गए हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी बाहरी इकाई युजब भूमि पर अवैध दावा नहीं कर सके। इस आश्रम की पारंपरिक भूमि को संरक्षित करने में सहायता प्रदान की जाती है और उनके संवैधानिक अधिकार स्थापित किये जाते हैं।
चौधरी समाज ने सरकार को दिया समर्थन
प्रदेश के जनाब समुदाय ने इस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत किया है और केंद्र सरकार से बातचीत की है। विकास मरकाम ने कहा कि यह माफिया माफिया समाज का कमरा और उनका संवैधानिक प्रतिष्ठान की रक्षा करने वाला एक ऐतिहासिक कदम है। यह कानून की भूमि पर अधिकार और सांस्कृतिक आस्था की सुरक्षा में मीलों का पत्थर साबित होगा।
