July 20, 2025

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चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से मिलता है संयम और आत्मबल

नई दिल्ली, 31 मार्च 2025 – चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है। यह दिन साधना, संयम और आत्मसंयम का प्रतीक माना जाता है। भक्तगण मां ब्रह्मचारिणी की पूजा कर अपने जीवन में धैर्य, शक्ति और सफलता की कामना करते हैं।

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप और आध्यात्मिक महत्व

मां ब्रह्मचारिणी सफेद वस्त्र धारण किए हुए हैं, उनके एक हाथ में जपमाला और दूसरे में कमंडल होता है। यह स्वरूप कठोर तपस्या और आत्मसंयम का प्रतीक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी, तब वे ब्रह्मचारिणी रूप में थीं। उनकी उपासना से व्यक्ति को आत्मविश्वास, संयम और दृढ़ संकल्प की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि: मां ब्रह्मचारिणी की कृपा प्राप्त करने का तरीका

  1. स्नान और संकल्प – प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का संकल्प लें।
  2. मूर्ति या चित्र स्थापना – पूजास्थल पर मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. पुष्प और अक्षत अर्पण – देवी को सफेद फूल, अक्षत (चावल) और रोली अर्पित करें।
  4. धूप-दीप प्रज्ज्वलन – घी या तिल के तेल का दीपक जलाकर धूप दिखाएं।
  5. मंत्र जाप – “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  6. नैवेद्य अर्पण – मां को गुड़ और मिश्री का भोग लगाएं।
  7. आरती और प्रार्थना – मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।

ज्योतिषीय और आध्यात्मिक लाभ

चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन चंद्रमा की स्थिति मानसिक शांति और स्थिरता को प्रभावित करती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मानसिक संतुलन, आत्मबल और तप की शक्ति प्राप्त होती है। यह दिन विशेष रूप से विद्यार्थियों, साधकों और आत्मिक उन्नति की कामना करने वालों के लिए लाभकारी माना जाता है।

भक्तों की श्रद्धा और उल्लास

देशभर के मंदिरों में मां ब्रह्मचारिणी की विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया। भक्तों ने दुर्गा सप्तशती का पाठ किया और घरों में व्रत रखकर मां की कृपा प्राप्त करने के लिए अनुष्ठान किए। देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है।

निष्कर्ष

मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से व्यक्ति को संयम, धैर्य और आत्मबल प्राप्त होता है। यह दिन उन लोगों के लिए विशेष रूप से शुभ है जो सफलता के मार्ग पर हैं और कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। श्रद्धा और विश्वास के साथ मां की आराधना करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

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