चैत्र माह में खान-पान और दिनचर्या पर विशेष ध्यान दें: नाड़ीवैद्य डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा




त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ छत्तीसगढ़ – आयुर्वेद के अनुसार, प्रत्येक ऋतु के अनुरूप आहार और जीवनशैली का पालन करना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसी संदर्भ में छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य एवं नाड़ीवैद्य डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा ने चैत्र माह में आहार-विहार को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।
चैत्र माह (15 मार्च 2025 – 12 अप्रैल 2025) के दौरान वसंत ऋतु समाप्त होकर ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है। इस दौरान मौसम गर्म और शुष्क होने लगता है, जिससे सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार, अपच, डिहाइड्रेशन और आंखों के सूखेपन की समस्या बढ़ सकती है। ऐसे में सही खान-पान और दिनचर्या अपनाकर इन समस्याओं से बचा जा सकता है।
डॉ. नागेंद्र शर्मा की सलाह
1. क्या खाएं?
✅ अनाज – जौ, ज्वार की खीर, चावल, मक्के की खीर, छिलके वाली मूंग दाल
✅ फल – अमरूद, अनार, संतरा, सेव, अंगूर, नारियल
✅ सब्जियां – सहजन की फली, हरा धनिया, अदरक, पुदीना, करेला, ककड़ी, लौकी
✅ मसाले – काली मिर्च, सूखा धनिया, मीठा नीम, अजवाइन, जीरा, मेथी, सौंफ
✅ विशेष रूप से लाभकारी – चना का सेवन स्वास्थ्य के लिए उत्तम
2. क्या न खाएं?
❌ गुड़ – इस मौसम में इसके सेवन से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं
❌ अनाज – नया गेहूं, बाजरा, मक्का, उड़द दाल, कुलथी दाल, राजमा
❌ सब्जियां – गाजर, मूली, मटर, फूल गोभी, पत्ता गोभी, बैंगन, मेथी, सरसों का साग, अरबी
❌ फल – आम, आम का रस, पपीता, केला
❌ अन्य – तैलीय, मसालेदार और बासी भोजन
3. जीवनशैली कैसी होनी चाहिए?
✅ क्या करें?
✔ रात्रि में जल्दी सोएं और प्रातः जल्दी उठें
✔ सुपाच्य और ताजा भोजन करें
✔ पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं
✔ योग, प्राणायाम, ध्यान और हल्का व्यायाम करें
❌ क्या न करें?
✘ देर तक सोना और रात्रि जागरण करना
✘ अधिक तैलीय, मसालेदार और भारी भोजन का सेवन
✘ दिन में अधिक देर तक सोना
✘ अत्यधिक श्रम और व्यायाम न करना
डॉ. नागेंद्र शर्मा ने सभी से आयुर्वेदिक नियमों के अनुसार खान-पान और दिनचर्या अपनाने का आग्रह किया, ताकि बदलते मौसम में शरीर को स्वस्थ रखा जा सके और गर्मी के दुष्प्रभावों से बचा जा सके।
