अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए बघेल कर रहे अनुशासन की दुहाई – भाजपा”




भाजपा प्रवक्ता बोले – कांग्रेस में अनुशासनहीनता पर बघेल की बयानबाजी महज दिखावा, पायलट ने खुद नियमों को तोड़कर की निष्कासित कार्यकर्ता की वापसी
त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ रायपुर, 20 मार्च 2025: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता केदारनाथ गुप्ता ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा कांग्रेस की पोलिटिकल अफेयर्स कमेटी (PAC) की बैठक में अनुशासनहीनता पर दिए गए बयान को राजनीतिक अस्तित्व बचाने की कोशिश बताया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में हाशिए पर जाने के डर से बघेल अब अनुशासन का ढोल पीट रहे हैं, जबकि उनके कार्यकाल में कांग्रेस के अनुशासन की धज्जियां उड़ती रहीं और तब वे चुपचाप बैठे रहे।
“बघेल का अनुशासन पर बयान महज बहाना, असली मकसद कांग्रेस में अपनी पकड़ बनाए रखना”
केदारनाथ गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस में अनुशासन की दुहाई देना बघेल की बौखलाहट का परिणाम है। जिला अध्यक्ष द्वारा प्रदेश पदाधिकारी को नोटिस देना एक दिखावा मात्र है, असल में बघेल प्रदेश कांग्रेस में अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए यह सब कर रहे हैं।
उन्होंने सवाल उठाया कि निकाय और पंचायत चुनावों में करारी हार के बाद कांग्रेस के नेताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई, लेकिन कुछ ही महीनों में उन्हें वापस पार्टी में शामिल कर लिया गया। आखिर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अनुशासन का कौन-सा सबक सिखाया जा रहा है?
भाजपा प्रवक्ता ने प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट पर भी निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस में वापसी के लिए बनाए गए नियमों को खुद पायलट ने एक ही दिन में तोड़ दिया और एक निष्कासित कार्यकर्ता की वापसी बिना किसी आधार पर कर दी। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि भूपेश बघेल को यह भी बताना चाहिए कि उनकी सरकार के रहते कांग्रेस विधानसभा चुनाव क्यों हारी?
“बघेल खुद चुनाव हार गए, फिर भी बैज की हार पर सवाल क्यों?”
गुप्ता ने कहा कि भूपेश बघेल अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के समर्थन में नया राग अलाप रहे हैं, जबकि लोकसभा चुनाव में बैज का टिकट कटवाने के पीछे खुद बघेल का हाथ था। उन्होंने कहा कि खुद चुनाव हारने के बाद बघेल अब कांग्रेस की हार का ठीकरा दूसरों पर फोड़ रहे हैं।
“छत्तीसगढ़ नहीं संभला, अब पंजाब कैसे संभालेंगे?”
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि बघेल बीते एक दशक से प्रदेश कांग्रेस और सत्ता के केंद्र में थे, लेकिन अपने ही संगठन को संभाल नहीं सके। अब जब कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाकर पंजाब भेज दिया है, तो वे छत्तीसगढ़ में अपनी सियासी पकड़ बनाए रखने के लिए अनुशासन का बहाना बना रहे हैं।
गुप्ता ने कहा कि बघेल को आत्ममंथन करना चाहिए कि उनके नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उपेक्षा क्यों झेलनी पड़ी? जब कार्यकर्ता अपनी पीड़ा साझा कर रहे थे, तब उन पर अनुशासन की तलवार लटकाने का आदेश किसने दिया?
उन्होंने कहा कि “सत्ता के मद में जिस भाषा का इस्तेमाल करके बघेल ने खुद राजनीतिक मर्यादाओं को तोड़ा, अब वही भाषा उन्हें चुभ रही है। इससे बड़ा सियासी ढोंग और क्या हो सकता है?”
