“बिना ताज के राजा: विकास झा की सियासी चालों ने विपक्ष को किया परास्त”




त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ बाकी मोगरा, 15 मार्च 2025 – राजनीति केवल संख्याओं का खेल नहीं, यह रणनीति और दूरदृष्टि की परीक्षा भी होती है। बाकी मोगरा नगर पालिका उपाध्यक्ष चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की गायत्री गोवर्धन कंवर ने 16 मतों से ऐतिहासिक जीत दर्ज की, लेकिन असली सुर्खियों में भाजपा युवा मोर्चा छत्तीसगढ़ के प्रदेश कोषाध्यक्ष विकास झा रहे।
जब संख्या बल नहीं, तब सियासी कौशल बना ब्रह्मास्त्र
30 पार्षदों वाली इस नगर पालिका में भाजपा के पास मात्र 10 पार्षदों का समर्थन था, जबकि विपक्ष बहुमत के करीब था। निर्णायक भूमिका 10 निर्दलीय पार्षदों की थी। यहीं पर विकास झा ने अपनी रणनीतिक कौशल का प्रदर्शन किया। उन्होंने पर्दे के पीछे रहकर ऐसा राजनीतिक जाल बुना कि विपक्ष जीत की उम्मीदों में खोया रहा और भाजपा ने आखिरी वक्त में बाज़ी पलट दी।
“मौन रहकर मात देना” – विकास झा की तीन स्तंभीय रणनीति
1. विश्वास की कूटनीति:
निर्दलीय पार्षदों के साथ निरंतर संवाद, उनकी चिंताओं को समझना और उन्हें यह भरोसा दिलाना कि भाजपा के साथ जाने से न सिर्फ उनकी राजनीतिक स्थिरता बनी रहेगी, बल्कि उनके वार्डों का विकास भी सुनिश्चित होगा।
2. ‘साइलेंट स्ट्राइक’ – बिना शोर किए तख्ता पलट:
जब विपक्ष यह मानकर चल रहा था कि निर्दलीय पार्षद उनके साथ हैं, तब झा चुपचाप बैकडोर मीटिंग्स, व्यक्तिगत मुलाकातें और कूटनीतिक चर्चाओं के जरिए अपनी योजना को अंजाम दे रहे थे। नतीजा? भाजपा को मिले 16 में से 6 वोट निर्दलीयों के थे।
3. संगठन को युद्धस्तर पर सक्रिय करना:
विकास झा ने स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं को पूरी तरह लामबंद किया, जिससे हर स्तर पर पार्टी की मजबूती दिखी। उन्होंने कार्यकर्ताओं को चुनाव का असली योद्धा बनाया और रणनीति के मुताबिक हर कदम को फाइनल मूव में बदला।
विपक्ष के अरमान ध्वस्त, भाजपा के खेमे में जश्न
चुनाव परिणाम घोषित होते ही विपक्षी खेमे में मायूसी छा गई। जिस निर्दलीय समर्थन पर विपक्ष ने भरोसा किया था, वह ऐन वक्त पर भाजपा के पाले में चला गया। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह केवल भाजपा की जीत नहीं, बल्कि विकास झा की राजनीतिक सूझबूझ की परीक्षा थी, जिसमें उन्होंने बाज़ी मार ली।
क्या विकास झा भाजपा के नए ‘राजनीतिक चाणक्य’ बन रहे हैं?
इस चुनाव ने एक बात साफ कर दी—विकास झा केवल एक नेता नहीं, बल्कि रणनीति के महारथी बनकर उभर रहे हैं। भाजपा के भीतर अब यह चर्चा तेज़ हो गई है कि झा आने वाले चुनावों में भी पार्टी के लिए “गुप्त हथियार” साबित होंगे।
अब सवाल यह है कि क्या विकास झा आगामी चुनावों में भी भाजपा के लिए जीत की गारंटी बनेंगे? राजनीति में कुछ भी निश्चित नहीं होता, लेकिन एक बात तय है—इस जीत ने उन्हें “बिना ताज के राजा” बना दिया है।
