वर्दी उतार चुका हूं, पर देश का ऋण अभी बाकी है” – कारगिल युद्ध योद्धा नायक प्रेम सोनी की प्रेरणादायक गाथा




देशसेवा के जज़्बे को आज भी जीवित रखे हुए हैं नायक प्रेम सोनी, सेना से सेवानिवृत्ति के बाद शिक्षक बनकर समाज को कर रहे हैं आलोकित
कोरबा/पाली।
त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ “मैं वर्दी उतार चुका हूं, पर देश का ऋण अभी बाकी है, जब तक सांस है, भारत मां का नाम जुबां पर होगा” – ये शब्द हैं भारतीय सेना के नायक रह चुके और अब शिक्षक के रूप में नई पीढ़ी को राष्ट्रसेवा का पाठ पढ़ा रहे प्रेम सोनी के, जिन्होंने 1999 के ऐतिहासिक कारगिल युद्ध में हिस्सा लिया था। उनका जीवन हर भारतीय के लिए प्रेरणास्रोत है।
सेना में सेवायात्रा:
ग्राम धरदेई, तहसील पामगढ़, जिला जांजगीर-चांपा के मूल निवासी प्रेम सोनी जी की सेना में भर्ती 28 अप्रैल 1992 को हुई थी। वे 1 अप्रैल 2008 को सेवानिवृत्त हुए। इस दौरान उन्होंने देश की सीमाओं की सुरक्षा में वीरता और निष्ठा से सेवा की।
कारगिल युद्ध में भागीदारी:
1999 में पाकिस्तान के खिलाफ लड़े गए कारगिल युद्ध में उन्होंने अग्रिम पंक्ति में रहकर देश की रक्षा की। लगभग 60 दिनों तक चले इस संघर्ष में देश ने 527 से अधिक वीर जवानों को खोया, लेकिन भारत ने विजय पताका फहराया। इस युद्ध का हिस्सा बनना उनके जीवन का सबसे गौरवपूर्ण अध्याय रहा।
सेना से शिक्षक तक का सफर:
सेना से सेवानिवृत्ति के बाद प्रेम सोनी जी ने देशसेवा की भावना को थामे रखा और अब शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला रंगोले, विकासखंड पाली, जिला कोरबा में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। वे न सिर्फ पाठ्यक्रम पढ़ाते हैं, बल्कि छात्रों में राष्ट्रभक्ति, अनुशासन और सेवाभाव भी भरते हैं।
वर्तमान निवास:
वर्तमान में वे बिलासपुर में निवासरत हैं और लगातार सामाजिक एवं शैक्षणिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
संदेश:
देश के प्रति उनका यह जज्बा आज भी उतना ही प्रबल है, जितना वर्दी पहनते वक्त था। वे कहते हैं –
> “मैं वर्दी उतार चुका हूं पर देश का ऋण अभी बाकी है। जब तक सांस है, भारत मां का नाम जुबां पर रहेगा।”
जय हिंद 🇮🇳
