July 22, 2025

त्रिनेत्र टाईम्स

खबरें जरा हट के

मानिकपुर खदान में ठेका कर्मचारियों का फूटा आक्रोश, 30 जुलाई को खदान बंद करने की चेतावनी

 

दो माह से काम से निकाले गए 80 ठेका कर्मचारियों ने एसईसीएल प्रबंधन पर बोला हमला, बहाली न होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी

 त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/  कोरबा-पश्चिम क्षेत्र की मेगा परियोजना मानिकपुर खदान एक बार फिर मजदूरों के असंतोष का केंद्र बन गई है। खदान में कार्यरत कलिंगा कमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा दो माह पूर्व कार्य से निकाले गए लगभग 80 ठेका कर्मचारियों ने एसईसीएल प्रबंधन पर सीधा दबाव बनाते हुए चेतावनी दी है कि यदि 30 जुलाई तक सभी मजदूरों की बहाली नहीं हुई तो खदान का संचालन पूरी तरह ठप कर दिया जाएगा।

स्थानीय भू-विस्थापितों का हक छीना गया”
ठेका कर्मचारियों का आरोप है कि खदान में स्थानीय भू-विस्थापितों को रोजगार देने के बजाय बाहरी मजदूरों को काम पर रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि मई माह में प्रबंधन ने बिना किसी पूर्व सूचना के उन्हें यह कहते हुए काम से हटा दिया कि ओवरबर्डन (OB) फेस पर बारिश का पानी भर गया है। मजदूरों ने इस स्थिति को केवल एक बहाना करार देते हुए कहा कि असल मंशा स्थानीय मजदूरों को बाहर का रास्ता दिखाकर बाहरी लोगों को रोजगार देना है।

मजदूरों ने कहा- सात महीने ठेका बचा, फिर भी निकाला गया
ठेका कर्मचारियों के अनुसार कलिंगा कमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को 1095 दिनों का वर्क ऑर्डर मिला है, जिसकी अवधि दिसंबर 2025 तक है। बावजूद इसके, मई 2025 में अचानक लगभग 80 मजदूरों—जिनमें भारी वाहन चालक और हैवी मशीन ऑपरेटर शामिल हैं—को हटा दिया गया। मजदूरों ने सवाल उठाया कि जब ठेका समाप्त होने में सात महीने बाकी हैं, तो उन्हें क्यों निकाला गया?

एसईसीएल पर मजदूरों का सीधा आरोप
मजदूरों का कहना है कि इस पूरे मामले में एसईसीएल प्रबंधन की भी भूमिका संदिग्ध है। उन्होंने आरोप लगाया कि एसईसीएल की निगरानी के बावजूद निजी कंपनी मजदूरों के साथ मनमानी कर रही है और प्रबंधन आंख मूंदे बैठा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर स्थानीय भू-विस्थापितों को प्राथमिकता नहीं दी गई और निकाले गए मजदूरों की तत्काल बहाली नहीं हुई तो 30 जुलाई को मानिकपुर खदान में ताला जड़ दिया जाएगा।

खदान की उत्पादन वृद्धि योजना पर संकट के बादल
गौरतलब है कि एसईसीएल ने मानिकपुर खदान की सालाना उत्पादन क्षमता को 52 लाख टन से बढ़ाकर 60 लाख टन करने की योजना बनाई है। यह प्रस्ताव कोल इंडिया के बोर्ड और मंत्रालय तक पहुंच चुका है। मगर मजदूरों और भू-विस्थापितों के आंदोलन के चलते इस योजना पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

मजदूरों की चेतावनी: अब नहीं तो कभी नहीं
मजदूरों ने स्पष्ट कहा है कि यह लड़ाई केवल बहाली की नहीं, बल्कि भविष्य में रोजगार की स्थिरता और स्थानीय भू-विस्थापितों के अधिकार की है। उन्होंने कहा कि अगर इस बार मजबूती से आवाज नहीं उठाई तो आने वाले समय में स्थानीय लोगों को कोयला खदानों में काम मिलने की उम्मीद भी खत्म हो जाएगी।

अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि एसईसीएल प्रबंधन इस चेतावनी को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या 30 जुलाई से पहले समाधान निकाल पाता है या नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.