कोरोना की चेन तोड़ने जारी शटडाउन ने तोड़ी किसानों की कमर,जरूरी चीजों के लिए भी चुकानी पड़ रही मोटी रकम





बरमकेला। कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने जारी लाॅकडाउन अब किसानों पर भारी पड़ रहा है। लाॅकडाउन ने किसानों की मेहनत पर पूरी तरह से पानी फेर दिया है। स्थिति यह है कि किसानों की हरी सब्जियां खेतों में सड़ रही है। खासकर सब्जी उत्पादक किसान लाॅकडाउन की वजह से काफी परेशान हैं। क्योंकि लाॅकडाउन की वजह से कड़ी मेहनत मशक्कत से उगाई गई सब्जी बाजार नहीं पहुंच पा रही है। सब्जियां सड़ रही है और धनिया पत्ती खेत में ही सूख रही है। इससे किसान मायूस हैं। के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है।
कोरोना के कारण जारी लाकडाउन के चलते किसान अपनी उपज शहर नहीं पहुंचा पा रहे हैं। रायगढ़, महासमुंद जिला 26 व 27 अप्रैल को ही अनलॉक होंगे। तब तक सब्जी और धनिया पत्ती खेत में बर्बाद हो जाएगा। दोनों जिले के कलेक्टर द्वारा गली मोहल्लों में ठेले में सब्जी बेचने की अनुमति दी है। अब सवाल यह है कि क्या अन्नदाताओं को अपनी उपज गांव से शहर लेकर जाकर गली गली बेचना पड़ेगा, जो संभव ही नहीं है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी-
जिले के सारंगढ़ व बरमकेला ब्लॉक अंतर्गत छिंदपतेरा, मंजूरपाली, जगदीशपुर, हट्टापाली, कालाखूंटा, जोगनीपाली, करनपाली, तौंसीर, छुहीपाली समेत 100 से अधिक गांवों में सौ एकड़ कृषि भूमि पर धनिया की फसल लहलहा रही है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से अब लहलहाती धनिया को जोतने की नौबत आ गई है। बरमकेला ब्लॉक अंतर्गत छिंदपतेरा के किसान रूपधर पटेल ने बताया कि अपनी उपज को ओडिशा या फिर महासमुंद जिले के सरायपाली में बेचते हैं। लेकिन दोनों जगहों पर लॉकडाउन होने की वजह से न तो वे अपनी उपज को व्यापारियों तक लेकर जा पा रहे हैं न ही व्यापारी उनके घर तक आ रहे हैं। लॉक डाउन की वजह से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी हो गई है।
