गंदा पानी से धो रहे तन और प्यास बुझा रहे घोघरा के ग्रामीण





बरमकेला। करीब पांच सौ आबादी वाले गांव घोघरा में 52 एकड़ तालाब को गांव के ही दबंगों ने कब्जा कर लिया है। गांव के धन्नासेठ सौ एकड़ खेत में धान की फसल लगाकर तालाब के पानी को सींचने पर आमदा हैं। तालाब सूखने के कगार पर है। उसी गंदे पानी से ग्रामीण निस्तारी और प्यास बुझा रहे है।
अब हालात और भी बिगड़ता जा रहा है। तालाब का पानी रोज कम होने लगा है। इससे पीलिया जैसी खतरनाक बीमारी फैलने की आशंका है। तालाब को सूखता देख ग्रामीण निस्तारी को लेकर चिंतित हैं। दूसरी तरफ परवल, बैंगन की खेती कर रोजी कमाने वाले लोग तालाब के पानी को लेकर चुप हैं। इन छोटे किसानों की आड़ में धनकुबेर
मनमाने खेतों में पानी सींच रहे हैं। इधर, पंचायत सचिव अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं। उनकी नजर में सब कुछ ठीक है। तालाब में पांच से सात फीट पानी होने का दावा सचिव कर रहा है। जबकि घुटने तक ही पानी बचा है। ऊपर से कीचड़ दिख रहा है। गंदा पानी में नहाने के बाद खुजली हो रही है। लोगों को अब गांव में महामारी फैलने का डर सता रहा है। ग्रामीणों ने सचिव पर पंचायत से नदारद रहने का भी आरोप लगाया है। साथ ही उसे हटाने की मांग की है।
दो माह पहले कराई थी मुनादी
इस मामले में सचिव विप्र ने कहा, गांव वाले झूठ बोल रहे हैं। यह सिर्फ उनकी भभकी है। मैने दो महीने पहले मुनादी करवाई थी और तालाब के पानी का दुरुपयोग नहीं करने को कहा था। लोग नहीं माने और सब्जी, भाजी, धान लगा दिए। अब पानी कम होने लगा है तो चिल्ला रहे हैं। बोर और हैंडपंप चालू हैं इसलिए पानी की समस्या का सवाल ही नहीं उठता है। सरपंच मनबोध चौहान ने बताया कि वे पंचायत के प्रस्तावों से अनजान हैं। कम पढ़े लिखे होने से सचिव उनकी बगैर जानकारी के राशि आहरण कर रहा है।
नल जल योजना का अता पता नहीं
गांव में नल जल योजना का अता पता नहीं है। सचिव से पूछे जाने पर पहले तो योजना के तहत काम होना बताया। कितने घरों तक पानी पहुंचाया जा चुका है, पूछने पर असलियत सामने आ गया। इतना ही नहीं पंचायत सचिव ने पानी की वैकल्पिक व्यवस्था करने पंद्रह दिन की मोहलत गांववालों से मांगी थी। 15 अप्रैल तक ग्रामीण सचिव की राह देखे, लेकिन वह नहीं आया। तब शुक्रवार को ग्रामीण एकजुट हुए और पानी की समस्या दूर करने सचिव को बुलाया तो वह नहीं आया।
नहीं पक रहा चावल और दाल
ग्रामीण मुरली सिदार, गोकुल सिदार, शेष देव पंडा, पंच नित्या सिदार, दामोदर साव, भंवर साव आदि ने बताया कि हैंडपंप और बोर के पानी से चावल, दाल नहीं पक रहा है। हैंडपंप का पानी लौहयुक्त है। इस कारण पानी गला से नहीं उतरता है। हैंडपंप के पानी की जांच की मांग कई बार किया जा चुका है। उसके बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया गया। इसलिए तालाब के पानी का उपयोग गांव वाले कर रहे हैं। हमें डर है कि हेड पंप के पानी में फ्लोराइड की मात्रा है इस कारण खाना नहीं पक रहा है। हां यह बात सच है कि तालाब के गंदे पानी से पीलिया जैसी महामारी का खतरा हम सब के ऊपर मंडरा रहा है। वैसे भी कोरोना महामारी की वजह से हम सब घरों में कैद हैं। अगर पीलिया महामारी फैली तो इसका जिम्मेदार पंचायत सचिव होगा।
वर्सन,,,
गांव में पानी की किल्लत न हो इसलिए बोर में मोटर पंप लगाने की योजना है। समान की खरीदी हो चुकी है। लॉक डाउन की वजह से मिस्त्री नहीं मिल रहे हैं। व्यवस्था जल्द हो इस प्रयास में जुटा हुआ हूं।
विप्र, सचिव ग्राम पंचायत घोघरा
वर्जन
इस मामले की जानकारी मेरे को नहीं थी। सचिव से बात कर जानकारी लेता हूँ। फिर आगे की कार्यवाही की जायेगी।
नीलाराम पटेल
सीईओ जनपद पंचायत बरमकेला
