July 21, 2025

त्रिनेत्र टाईम्स

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“छत्तीसगढ़ की खादी को मिलेगा आधुनिक स्वरूप: नवाचार और वैश्विक ब्रांडिंग की ओर बढ़ते कदम”

रायपुर, 23 मई 2025
त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ छत्तीसगढ़ की पारंपरिक खादी अब एक नए और आधुनिक रूप में सामने आने को तैयार है। छत्तीसगढ़ खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष श्री राकेश पांडेय के नेतृत्व एवं प्रबंध संचालक श्री श्याम धावडे के मार्गदर्शन में राज्य की खादी को एक फैशनेबल, सस्टेनेबल और अंतरराष्ट्रीय स्तर का ब्रांड बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।

खादी को अब केवल पारंपरिक परिधान तक सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि इसे युवाओं, पर्यावरण प्रेमियों और वैश्विक उपभोक्ताओं के लिए एक आधुनिक विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। इस पहल के तहत खादी को फैशन डिज़ाइन, डिजिटल टेक्नोलॉजी और टेक्सटाइल इनोवेशन से जोड़कर ट्रेंडी और फ्यूज़न परिधानों का निर्माण किया जाएगा।

डिज़ाइनिंग में अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर, डिजिटल प्रिंटिंग और कपड़ा तकनीक का उपयोग कर खादी को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाया जाएगा। इसके साथ ही, ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर खादी उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी और सोशल मीडिया के माध्यम से सशक्त ब्रांडिंग की जाएगी।

खादी को एक विशेष ब्रांड के रूप में प्रस्तुत करते हुए इसे पर्यावरण-अनुकूल, आत्मनिर्भर और सांस्कृतिक गरिमा से युक्त उत्पाद के रूप में प्रचारित किया जाएगा। युवाओं को जोड़ने के लिए विश्वविद्यालयों में फैशन शो, कार्यशालाएं और नवाचार प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी, जिससे खादी को लेकर गर्व और अपनत्व की भावना विकसित की जा सके।

राज्य सरकार स्कूल यूनिफॉर्म और शासकीय कर्मचारियों की वर्दी में खादी को शामिल करने पर विचार कर रही है, साथ ही निजी कंपनियों को भी कॉर्पोरेट गिफ्टिंग एवं दैनिक उपयोग में खादी को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ की खादी को स्थापित करने हेतु विदेशी प्रदर्शनियों में भागीदारी और निर्यात योग्य उत्पादों की नई श्रृंखला विकसित की जाएगी।

इस अवसर पर बोर्ड के उपसंचालक श्री पंकज अग्रवाल, सहायक संचालक श्री दीपक कुमार आर्मो, निरीक्षक श्री डमरूधर पटेल, श्री प्रकाश श्रीवास्तव, इद्रीश अहमद, चंचल जोतवाणी, शिवांगी मित्रा सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।

श्री पांडेय का स्पष्ट मत है कि “छत्तीसगढ़ की खादी अब केवल कारीगरों की जीविका का माध्यम नहीं, बल्कि यह राज्य की सांस्कृतिक पहचान और आत्मनिर्भरता का एक सशक्त वैश्विक प्रतीक बनेगी।”

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