2 साल की गारंटी वाला बल्ब चन्द दिनों में तोड़ रहा दम…कैसे फैले उजाला….पढ़िये ये ख़ास खबर



अश्वनी साहू और कबीर दास की खास रिपोर्ट
रायगढ़/बरमकेला। सरपंच, सचिव की मिलीभगत से ग्रामीण स्ट्रीट लाइटों में खूब खेल खेला गया। नतीया यह हुआ कि लगभग लाख रुपए की सरकारी धनराशि खर्च हो गई और गांव-गांव मुख्य मार्गो व मोहल्लों में अंधेरा ही कायम है। कमीशन के चक्कर में ही मानक की तरफ किसी जिम्मेदार ने नजर नहीं डाली परिणाम स्वरूप कुछ ही महीनों में विद्युत पोलों से लाइटें बेकार हो गई हैं। पानी की तरह पैसा बहाने के बाद भी गांव में उजाला फैलाने सरकार की मंशा अधूरी की अधूरी नजर आ रही है।
ऐसा ही कुछ नजारा रायगढ़ जिले के बरमकेला जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत गोबरसिंहा में देखने को मिल रहा है।
ग्राम पंचायतों में पथ प्रकाश व्यवस्था के लिए स्ट्रीट लाइटें लगाने की पहल 3 वर्ष पहले सरकार के द्वारा शुरू की गई। जिसके अंतर्गत गांव में महत्वपूर्ण स्थानों पर स्ट्रीट लाइटें लगाई गई। प्रति स्ट्रीट लाइट पर लगभग 1 से 2 हजार रुपए खर्च करने की बात कही गई। जिसका भुगतान ग्राम पंचायत निधि के खाते से किया गया। योजना शुरू सरपंच और सचिव की चांदी हो गई। गोबरसिंहा ग्राम पंचायत में भी जिम्मेदारों की मिलीभगत से ऐसा खेल खेला गया कि घटिया स्तर का स्ट्रीट लाइट लगनी शुरू हो गई। नीचे से लेकर ऊपर तक किसी ने जांच करना मुनासिब नहीं समझा। परिणाम स्वरूप स्ट्रीट लाइटें महीने भर के अंदर ही बुझने लगी। मरम्मत के लिए भी कोई जिम्मेदार जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं दिखा। ऐसे में धीरे धीरे अधिकांश स्ट्रीट लाइटें बेकार हो गई। कुछ मोहल्ले वासियों ने खुद लाईट व्यवस्था सुधारी तो कुछ ने सरपंच व सचिव को व्यस्था के लिए बोला लेकिन लोगो का बोलना और कुछ बल्ब खराब होकर बेमतलब साबित हो रही हैं।
