चैत्र नवरात्रि: तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा, जानें विधि, महत्व और बच्चों संग पूजन के लाभ




त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ – चैत्र नवरात्रि का प्रत्येक दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की उपासना की जाती है, जो शक्ति, सौम्यता और शौर्य की प्रतीक मानी जाती हैं। इनके मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित होता है, जिसके कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। मां का यह स्वरूप भक्तों को अद्भुत आध्यात्मिक और मानसिक शांति प्रदान करता है।
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि
इस दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजन स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। मां चंद्रघंटा की प्रतिमा या चित्र की स्थापना कर विधिवत पूजा करें।
- मां को लाल फूल, अक्षत (चावल), चंदन और सिंदूर अर्पित करें।
- घी का दीपक जलाकर दुर्गा सप्तशती या चंद्रघंटा स्तोत्र का पाठ करें।
- माता को दूध, मिठाई, पंचामृत और मखाने का भोग लगाएं।
- शंख और घंटी बजाकर मां की आरती करें और समर्पण भाव से प्रार्थना करें।
माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से की गई साधना से मां अपने भक्तों की समस्त बाधाओं को दूर कर उन्हें निर्भयता और आत्मबल प्रदान करती हैं।
बच्चों संग पूजा करने का महत्व
बच्चों को पूजा में शामिल करना धार्मिक और मानसिक विकास की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। नवरात्रि के दौरान यदि बच्चे मंत्रोच्चार, आरती और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं, तो इससे उनमें आध्यात्मिकता और नैतिक मूल्यों का विकास होता है।
- पूजा में सम्मिलित होने से बच्चों की एकाग्रता और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है।
- धार्मिक अनुष्ठानों में सहभागिता से उनमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- माता-पिता के साथ पूजन करने से वे भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़ते हैं।
- परिवार में प्रेम, समर्पण और एकता की भावना प्रबल होती है।
मां चंद्रघंटा की कृपा के लाभ
मां चंद्रघंटा की आराधना से भक्तों को मानसिक शांति, आत्मविश्वास और साहस की प्राप्ति होती है। साथ ही, उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि और सौहार्द बना रहता है। ऐसा माना जाता है कि मां के पूजन से घर-परिवार में सौहार्द्र बढ़ता है और किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
इस प्रकार, नवरात्रि के इस विशेष दिन पर मां चंद्रघंटा की पूजा करना न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि यह पारिवारिक सुख-शांति और संस्कारों को मजबूत करने का भी एक सुंदर अवसर है।
