जनजातीय समाज की आय बढ़ाने के लिए सरकार का संकल्प : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय




वन आधारित आजीविका को मजबूत करने कार्यशाला में मुख्यमंत्री ने रखा विजन
वनोपज से समृद्धि के लिए नीति आयोग और सरकार की साझा पहल
त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा **** रायपुर, 28 मार्च 2025 // मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि हमारी सरकार जनजातीय समाज की आय बढ़ाने और वन आधारित आजीविका को मजबूत करने के लिए संकल्पबद्ध है। वनों और जनजातीय समाज का अटूट संबंध रहा है और दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। इसी कड़ी में नवा रायपुर में “आदिवासी समुदायों के लिए वन आधारित जीविकोपार्जन के अवसर” विषय पर नीति आयोग और वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के संयुक्त तत्वाधान में कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री ने इस कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि यह आयोजन आदिवासियों और वनों के सह-अस्तित्व को केंद्र में रखकर उनके विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 32 प्रतिशत जनजातीय समुदाय निवासरत है और 44 प्रतिशत क्षेत्र वन आच्छादित है। उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन के 35 वर्षों के अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने जनजातीय समाज की कठिनाइयों को नजदीक से देखा है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा कि अटल जी ने आदिवासियों की व्यथा को समझा और छत्तीसगढ़ का गठन हुआ। उनके प्रयासों से आदिवासी कल्याण के लिए अलग मंत्रालय बना, जिससे केंद्र सरकार की योजनाओं का सही लाभ आदिवासियों तक पहुंचा।
वनोपज आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूती
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को प्रभावी बनाया और वनोपज की समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू की, जिससे आदिवासी समाज आर्थिक रूप से सशक्त हुआ। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 67 प्रकार के लघु वनोपजों का संग्रहण, प्रसंस्करण और विक्रय महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा किया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की नीतियों के तहत यह समूह आर्थिक रूप से सक्षम बन रहे हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री श्री मोदी को विशेष रूप से धन्यवाद देते हुए कहा कि “पीएम-जनमन योजना” और “धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान” जैसी योजनाओं से अनुसूचित जनजाति बाहुल्य ग्रामों को लाभ मिल रहा है। नीति आयोग और वन विभाग के संयुक्त प्रयासों से तकनीक और नवाचार के माध्यम से जनजातीय समाज की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जा रहा है।
वन मंत्री श्री केदार कश्यप का संबोधन
वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने कहा कि नीति आयोग के सहयोग से यह कार्यशाला महत्वपूर्ण विषय पर केंद्रित रही। उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय के लिए संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी आई है और वनवासी क्षेत्रों में व्यवस्थाएं सुदृढ़ हुई हैं। उन्होंने पर्यावरण संतुलन बनाए रखते हुए वन संसाधनों के समुचित उपयोग और रोजगार सृजन पर जोर दिया।
नीति आयोग और अन्य विशेषज्ञों का योगदान
इस कार्यशाला में नीति आयोग के सलाहकार श्री सुरेंद्र मेहता, प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा, वन बल प्रमुख श्री व्ही श्रीनिवास राव सहित झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक जैसे राज्यों से आए विषय विशेषज्ञों और वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने विचार साझा किए।
वन उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने अरण्य भवन परिसर में वन उत्पादों पर आधारित स्टालों का अवलोकन किया। इस दौरान “लीफ प्लेट टेक्नोलॉजी, हैदराबाद” की टीम ने उन्हें पत्तों से बने डिनर सेट भेंट किए। बीजापुर जिले के श्री बी. आर. राव, जो 35 वर्षों से वनौषधीय पौधों के बीजों का संरक्षण कर रहे हैं, ने “गमलों से जंगल की ओर” अभियान की जानकारी दी, जिसकी मुख्यमंत्री ने सराहना की।
इसके अलावा बलौदाबाजार जिले के अमरवा बांस प्रसंस्करण केंद्र के सदस्यों ने मुख्यमंत्री को बांस शिल्प से बना गुलदस्ता भेंट किया। उन्होंने लाख उत्पादक किसान समिति कांकेर, छत्तीसगढ़ हर्बल और जशप्योर एफपीसी जशपुर के स्टालों का अवलोकन कर समूहों से चर्चा की और उनके कार्यों की प्रशंसा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार वन संसाधनों के उचित उपयोग, रोजगार सृजन और जनजातीय समाज के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। नीति आयोग और वन विभाग की यह पहल आदिवासी समाज की समृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
