पाली नगर पंचायत में भाजपा का ‘चुनावी चाणक्य दांव’, कांग्रेस को बड़ा झटका!




भाजपा ने निर्दलीय और कांग्रेस पार्षदों को जोड़कर मजबूत किया समीकरण, उपाध्यक्ष पद की जीत लगभग तय
त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ कोरबा-पाली: नगर पंचायत पाली में 17 मार्च को होने वाले उपाध्यक्ष चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक बड़ा सियासी दांव खेलते हुए अपनी स्थिति को और मजबूत कर लिया है। भाजपा के इस ‘राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक’ से कांग्रेस को करारा झटका लगा है।
वार्ड क्रमांक 5 के निर्दलीय पार्षद सोना ताम्रकार और वार्ड क्रमांक 7 के कांग्रेस पार्षद पुनी राम पटेल (बबलू) ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इससे भाजपा पार्षदों की संख्या बढ़कर 10 हो गई, जबकि कांग्रेस 6 से घटकर 5 पार्षदों तक सीमित रह गई। इस बदलाव के बाद नगर पंचायत के उपाध्यक्ष पद पर भाजपा की जीत लगभग पक्की मानी जा रही है।
भाजपा के इस कदम का राजनीतिक असर
- भाजपा को स्पष्ट बहुमत: पहले 8 पार्षदों के साथ भाजपा को क्रॉस वोटिंग का खतरा था, लेकिन अब 10 पार्षद होने से पार्टी की स्थिति मजबूत हो गई है।
- कांग्रेस को सियासी झटका: 6 पार्षदों के साथ कांग्रेस उपाध्यक्ष चुनाव में मुकाबले में थी, लेकिन अब 5 पार्षद रह जाने से उसकी स्थिति कमजोर हो गई है।
- भाजपा का रणनीतिक मोर्चा: भाजपा ने उपाध्यक्ष चुनाव से पहले समीकरण इस तरह साधे कि अब जीत उसकी झोली में जाती दिख रही है।
नेताओं ने क्या कहा?
इस मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष मनोज शर्मा ने कहा कि यह बदलाव दर्शाता है कि भाजपा की नीतियों और नेतृत्व पर जनता और जनप्रतिनिधियों का विश्वास लगातार बढ़ रहा है। भाजपा नगर पंचायत में पारदर्शी और जनहितकारी विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
कार्यक्रम में कौन-कौन रहा मौजूद?
इस अवसर पर भाजपा के जिला उपाध्यक्ष संजय भावनानी, नगर पंचायत चुनाव प्रभारी व भाजपा जिला महामंत्री संतोष देवांगन, पाली मंडल अध्यक्ष रोशन सिंह ठाकुर, नगर पंचायत अध्यक्ष अजय जायसवाल, वरिष्ठ भाजपा नेता ज्ञान सिंह राजपाल, चिंटू राजपाल, प्रयाग नारायण शांडिल्य, शैलेष सिंह, दीपक सोनकर, विवेक कौशिक, जितेंद्र माटे, समेत कई पदाधिकारी और पार्षदगण मौजूद थे।
क्या कहता है राजनीतिक विश्लेषण?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस घटनाक्रम के बाद पाली नगर पंचायत में भाजपा की स्थिति मजबूत हो गई है और उपाध्यक्ष पद की राह अब और आसान हो गई है। कांग्रेस के लिए यह नुकसान सिर्फ संख्याबल तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका असर पार्टी की स्थानीय राजनीति और कार्यकर्ताओं के मनोबल पर भी पड़ेगा।
कुल मिलाकर, भाजपा के इस ‘चाणक्य नीति’ वाले दांव ने कांग्रेस के गणित को बिगाड़ दिया है और आगामी उपाध्यक्ष चुनाव में भाजपा की राह आसान बना दी है।
