ज़िंदगी हर कदम एक नई जंग है..
1 min readहां यह सच है कि जिंदगी हर कदम एक नई जंग है. परंतु जिनके पास कदम ही नहीं, उन्हें भी इस जंग में शामिल तो होना ही पड़ता है।
यूं तो हर शख्स अपनी जीवन यात्रा में संघर्ष करता है, परंतु एक ऐसा शख्स है जो अपनी जिंदगी की गाड़ी महज काठ के टुकड़े में बेरिंग लगाकर खींच रहा है और उसकी इन दुश्वारियां में कोई हमसफ़र है तो उसकी जीवनसंगिनी है। जो गोद में दो नन्हे बच्चों को लेकर हर कदम उसके साथ चलती है।
जांजगीर-चांपा जिले के जेठा-भुरसीडीह गांव का निवासी शत्रुघ्न लाल बंसोड़ पोलियो से लाचार है। ऐसे में वह भिक्षा मांग कर अपने परिवार को पाल रहा है। इसके लिए उसे पत्नी और दो मासूम बेटियों को साथ लिए प्रतिदिन 20 से 30 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। अपनी ट्राईसाईकिल से किसी गांव शहर कस्बा पहुंचकर यह परिवार अपनी पाटा-गाड़ी से घिसटते हुए हर दरवाजे पर अपना हाथ फैलाता है। यह तो उनकी मजबूरी है, परंतु चाहत तो उनकी भी है कि यदि सरकार द्वारा लोन आदि कोई सहयोग मिल जाए तो वह भी अपना छोटा सा दुकान कर आराम से जीवन गुजारे।
यूं तो शासन द्वारा ऐसे मजबूर लोगों के लिए बहुत सारी योजनाएं बनाई गई हैं, परंतु वास्तव में जो जरूरतों के दौर से घिरे होते हैं, उन तक योजनाएं ना जाने क्यों नहीं पहुंच पातीं। बता दें इस मजबूर परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी प्राप्त नहीं हो पाया है।