भगवान किसी को मारते नहीं, बल्कि तारते हैं : अतुल कृष्ण भारद्वाज
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* मेहर वाटिका में कथा सुनने पहुंच रहे श्रद्धालु
त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा अंचल के लब्धख्याति, प्रतीष्ठित विशाल ठण्डुराम परिवार (कादमा वाले) जो कोरबा शहर के प्रारंभिक बसाहट वाला परिवारो में सम्मिलित हैं। उनके द्वारा श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का आयोजन मेहर वाटिका, अग्रसेन मार्ग में 5 से 12 सितंबर तक कराया जा रहा है।
उक्त कार्यक्रम भागवत कथा का श्रवण करने प्रतिदिन हजारो की संख्या में भागवत प्रेमी पहुंच रहे हैं। कथा के पांचवे दिन सोमवार को व्यासपीठ से आचार्य अतुल कृष्ण भारद्वाज ने भगवान की बाल लीला, गिरिराज पूजन का संगीतमय प्रसंग सुनाया।
आचार्य श्री भारद्वाज ने वेदों की प्रेरणा एवं ऐतिहासिक प्रसंगों पर प्रकाश डालते हुए राक्षसी पूतना पर कहा कि आज भी समाज में हजारों पूतना जीवित हैं। कथा व्यास ने कहा कि भगवान किसी को मारते नहीं बल्कि तारते हैं। पहले तीनों अवतारों में महिला रूपी राक्षसों का ही नाश किया। इसका अर्थ यह नहीं है कि भगवान किसी को मारते हैं बल्कि वे अविद्या रूपी राक्षसों का नाश कर अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। यदि यह अविद्या घर-परिवार में आ जाए, तो घर में कलह एवं अशांति रहती है अर्थात पूतना रूपी राक्षसी अखबार, मोबाईल, टीबी इत्यादि के माध्यम से प्रत्येक घर व परिवार में पहुँच चुकी है और परिवार को तोड़ने का कार्य कर रही है, जिसका प्रभाव पूरे जीवन और समाज पर पड़ रहा है। आज आवश्यकता है कि पूतना रूपी वृत्ति से सावधान रहा जाए।
* देखना-पढ़ना-सुनना,सब ध्यान से करें
हमें ध्यान रखना है कि क्या देखना, पढ़ना एवं सुनना चाहिए और किस तरीके से भोजन करना चाहिए। भोजन को छोड़ा जा सकता है क्योंकि वह शरीर के काम आता है परन्तु दृष्टि से देखा गया, कान से सुना गया और स्वयं से पढ़ा हुआ, यह सभी जीवन के आचरण में आकर समाज को सत्य एवं असत्य दिशा का मार्गदर्शन करता है। कथा व्यास ने वासुदेव व नंदबाबा के मिलन के प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि सच्ची मित्रता वही है, जो मित्र के कष्टों को सुनकर उसे अपना कष्ट मानकर दूर करने का प्रयत्न करे। व्यक्तिगत कष्टों को मित्र के सामने कभी भी चर्चा नहीं करना चाहिए।
* भगवान केवल भाव देखते हैं
कथा व्यास ने कहा कि मनुष्य जिस भाव से भगवान का सुमरन करता है, भगवान उसी भाव से उसे अपने हृदय में बसा लेते हैं। भगवान केवल भाव देखते हैं। महाराज ने भगवान के बाल स्वरूप की पूजा पर बल देते हुए कहा कि बाल स्वरूप की पूजा एवं सेवा पूरी तरह से नि:स्वार्थ भाव से होती है और उसमें किसी तरह की अपेक्षा नहीं होती। कथा के अन्त में भगवान श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं एवं माखन चोरी के प्रसंग को अति मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया जिसे श्रवण कर हजारों श्रदालु मंत्रमुग्ध और भाव विभोर होते रहे।
प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से कथा व्यासपीठ से आचार्य अतुल कृष्ण भारद्वाज द्वारा कथा श्रवण कराई जा रही हैं। श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के आयोजक धर्मभीरु रामचन्द्र रघुनाथ प्रसाद अग्रवाल, लक्ष्मीनारायण रामानंद अग्रवाल, कांशीराम रामावतार अग्रवाल, प्यारेलाल रामनिवास अग्रवाल की ओर से धर्मप्रेमी कथाभक्तो से सपरिवार कथा श्रवण कर पुण्य लाभ अर्जित करने का विनम्र आग्रह किया गया है।