गेवरा बस्ती में घटिया सीसी रोड निर्माण से जनता नाराज़, पार्षदों और ठेकेदारों की भूमिका पर उठे सवाल



त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ बांकीमोंगरा (कोरबा)। नगर पालिका परिषद अंतर्गत गेवरा बस्ती वार्ड क्रमांक 25 में बन रही सीसी (कांक्रीट) सड़क की गुणवत्ता को लेकर क्षेत्रवासियों में गहरा असंतोष है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि निर्माण कार्य में भारी अनियमितता और ठेकेदारों की मनमानी हो रही है, जिससे सड़क की मजबूती और टिकाऊपन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
कहीं 2 इंच, कहीं 5 इंच मोटाई – निर्माण में खुला खेल!
मौके पर पहुंचे सूत्रों और नागरिकों के अनुसार, बन रही सीसी रोड की मोटाई कहीं महज 2 इंच है, तो कहीं 3 या 5 इंच तक – जो कि निर्माण मानकों के विपरीत है। इतना ही नहीं, निर्माण के दौरान सीमेंट-कांक्रीट को जमाने और मजबूती देने के लिए जरूरी वाइब्रेटर मशीन का भी इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। जब मजदूरों से इसके बारे में पूछा गया, तो उन्होंने जवाब दिया कि “वाइब्रेटर चलाने वाला ही नहीं है”।
अब सवाल यह उठता है कि क्या बिना वाइब्रेटर के सीसी रोड की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकती है? क्या वाकई वाइब्रेटर वाला कर्मचारी छुट्टी पर है, या फिर शुरू से ही निर्माण प्रक्रिया में लापरवाही बरती जा रही है?
ठेकेदार के नाम को लेकर भी भ्रम – दिलीप दा या उमेश राठौर?
मजदूरों ने ठेकेदार के रूप में वार्ड 23 के पार्षद एवं पीआईसी सदस्य दिलीप दास का नाम लिया, वहीं कागजों में ठेकेदार का नाम उमेश राठौर बताया जा रहा है। इससे यह सवाल उठता है कि कहीं “बोगस” या मुखौटा ठेकेदारी के जरिए निर्माण कार्य में गड़बड़ी तो नहीं की जा रही?
पार्षद का गंभीर आरोप: काम में भारी लापरवाही
वार्ड क्रमांक 25 के पार्षद तेज प्रताप सिंह ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा –
“अगर इसी तरह घटिया काम होता रहा तो यह सड़क पहली ही बारिश में बह जाएगी। ठेकेदार सिर्फ मुनाफा देख रहे हैं, जनता की सुविधा और सुरक्षा को नजरअंदाज कर रहे हैं। अधिकारियों को जानकारी देने के बाद भी कोई ठोस जांच नहीं हुई है।”
कौन लेगा जिम्मेदारी?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नगर पालिका के CMO, इंजीनियर, या पालिका अध्यक्ष इस गड़बड़ी के खिलाफ क्या कार्रवाई करते हैं। यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में यह सड़क भ्रष्टाचार की एक और मिसाल बन जाएगी।
✅ सीसी रोड निर्माण में जरूरी गुणवत्ता मापदंड (मानक):
1. मोटाई – आमतौर पर CC रोड की मोटाई 6 इंच (150mm) या उससे अधिक होनी चाहिए, विशेष उपयोग के अनुसार।
2. ग्रेडेड सामग्री का उपयोग – M20 या M25 ग्रेड का कंक्रीट, यानी सही अनुपात में सीमेंट, रेत और गिट्टी का मिश्रण।
3. वाइब्रेटर मशीन का प्रयोग – कंक्रीट डालने के बाद उसे अच्छे से जमाने के लिए कम्पल्सरी है।
4. लेवलिंग और ढाल – जल निकासी को ध्यान में रखते हुए सतह की ढलान देना।
5. कर्फ़्यूरिंग टाइम – कम से कम 7 से 14 दिन तक पानी डालकर curing करना ताकि कांक्रीट मजबूत हो।
6. क्वालिटी कंट्रोल – साइट पर इंजीनियर की निगरानी अनिवार्य।
👉 सवाल वही – सड़क बनेगी या सिर्फ कागजों में दिखेगी?
👉 कार्रवाई होगी या जनता यूं ही ठगा जाएगा?
नगर पालिका और जिम्मेदार अफसरों को यह तय करना होगा कि वो जनता के हित में खड़े होंगे या ठेकेदारों की अनियमितताओं के आगे झुक जाएंगे।
