June 6, 2025

त्रिनेत्र टाईम्स

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श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन कथा में श्री कृष्ण और रुक्मणी विवाह का आयोजन हुआ जिसमें सारंगढ़ विधायक उत्तरी गनपत जांगड़े शामिल हुए

बरमकेला विकासखंड के ग्राम बोईरडीह में 19 मार्च से 27 मार्च तक समय दोपहर 2:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक श्रीमती उर्वशी( धर्मपत्नी स्वर्गीय श्री नानू बाबू ) ग्राम बोईरडीह मेन रोड मे आयोजित श्रीमद भागवत कथा के दौरान कथा व्यास आचार्य पंडित भावेश कृष्ण महाराज ने श्रीकृष्ण भगवान के छप्पन भोग गोवर्धन पूजा के महत्व को बताया। इस दौरान भगवान गोवर्धन का पूजन भी किया गया। कथा व्यास ने बताया कि भगवान इन्द्र जब प्रकोप में थे तब उन्होंने वर्षा करके कहर बरपाया। चारों ओर हाहाकार मच गई। गांव जलमग्न होने लगे तब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उंगली पर उठा लिया। इससे गांव के सभी लोग गोवर्धन पर्वत के नीचे गए और वहां शरण ली। महाराज ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने इन्द्र का मान नष्ट करके गिर्राज पूजा कराई थी। तब सभी बृजवासियों ने गोवर्धन पहुंचकर गोवर्धन पर्वत का पूजन किया और 56 भोग लगाया। उन्होंने कहा कि आज भी वृदांवन में बांके बिहारी को दिन में आठ बार भोग लगाया जाता है। पूरे सात दिन भगवान श्रीकृष्ण ने भूखे प्यासे गोवर्धन पर्वत को उठाए रखा था। इस मौके पर नवरात्रों को लेकर बनाई गई मां शेरावाली,महाकाली और अंबे की झांकी आकर्षण का केंद्र रही। इस भोग से मन के विकार दूर होते हैं। मन की शुद्धि होती है।भगवान अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए किसी ना किसी रूप में प्रकट होते है। इस अवसर पर पर ग्रामीण अंचलों के भारी संख्या में महिला पुरुष कथा का रसपान किया

ग्राम बोईरडीह में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन कथा में श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह का आयोजन हुआ। जिसे बड़े धूमधाम से मनाया गया। श्रीमद भागवत कथा के छठवें दिन कथावाचक

कहा कि महारास में पांच अध्याय है। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण है। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया। महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं से विवाह कर उनके साथ सुखमय जीवन बिताया। भगवान श्रीकृष्ण रुकमणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। भागवत कथा के छठवें दिन कथा स्थल पर रूकमणी विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। श्रीकृष्ण रुक्मणी की वरमाला पर जमकर फूलों की बरसात हुई। कथावाचक ने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है।
जीव परमात्मा का अंश है
कथा वाचक ने कहा कि जीव परमात्मा का अंश है, इसलिए जीव के अंदर अपारशक्ति रहती है यदि कोई कमी रहती है, वह मात्र संकल्प की होती है। संकल्प व कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे।

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