वी.एस.उद्योग की जनसुनवाई के विरोध में एनजीटी का दरवाज़ा खटखटाएंगे – सुमीत शर्मा





वी.एस.उद्योग द्वारा प्रस्तुत ईआईए रिपोर्ट झूठ का पुलिंदा
रायगढ़।रायगढ़ के संघर्षशील व तेज़तर्रार युवा नेता सुमित शर्मा विज्ञप्ति जारी करते हुए ऐलान किया है कि आगामी 12 मार्च को प्रस्तावित युवा उद्योगपति आशीष अग्रवाल के मालिकाना हक वाले औद्योगिक समूह वी.एस की जनसुनवाई का उनकी अगुवाई में सैकड़ो कार्यकर्ताओ द्वारा विरोध दर्ज करवाया जायेगा।
आगे युवा नेता सुमित शर्मा ने कहा कि जनहितों के मद्देनजर उद्योग विस्तार की जनसुनवाई का विरोध किया जाना तय किया गया है। इस उद्योग की जनसुनवाई निरस्त कराने के लिए वे और उनके सैकड़ों युवा साथी आम जनता की आवाज नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ,दिल्ली तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
युवा नेता सुमित शर्मा का साफ तौर पर कहना है कि इस औद्योगिक समूह द्वारा साँठगाँठ कर जो ईआईए रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया है वो झूठ का पुलिंदा हैं जबकि जमीनी हकीकत उस ईआईए रिपोर्ट से पूरी तरह अलग है जबकि जमीनी सच्चाई यह हैं कि पूरा तराईमाल औद्योगिक क्षेत्र प्रदूषण की भयंकर मार झेल रहा है और इस औद्योगिक क्षेत्र में पहले से करीबन दर्जन भर उद्योग संचालित हो रहे हैं जिसकी वजह से न केवल पारिस्थितिकी तंत्र पर बल्कि क्षेत्र के 10 किलोमीटर के दायरे पर बड़े पैमाने पर जल व वायु प्रदूषण फैल रहा है जिससे इस पूरे इलाकें पर बसने वाली करीबन 10 से 15 हज़ार की जनआबादी बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं लोगों को श्वसन संबंधी कई प्रकार की गंभीर बीमारियां होने की शिकायत मिल रही हैं ऐसे में उद्योग द्वारा प्रस्तुत ईआईए रिपोर्ट में वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण के आंकड़े जो दिए गए है वो पूरी तरह से मिथ्या है।
जारी विज्ञप्ति के माध्यम से युवा नेता ने कहा है कि इस क्षेत्र में पहले से ही संचालित करीबन दर्जन भर स्पंज आयरन व पावर प्लांट की वजह से हवा में प्रदूषण की मात्रा पीएम 2.5 एवं पीएम 10 की मात्रा करीबन 150 से ऊपर है जिससे जन स्वास्थ्य का खतरा मौजूद है l वायु प्रदूषण की वजह से बीमारियां फैल रही है। इस उद्योग के विस्तार से प्रदुषण के मानक स्तर में वृद्धि होगी l
केंद्रीय प्रदूषण टीम द्वारा इस क्षेत्र में अध्ययन के दौरान यह पाया है कि बच्चो में टीबी व खासी के लक्षण तेजी से फैल रहे है l केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय के निर्देशानुसार ईआईए रिपोर्ट के पूर्व एसआईंए बनाने का प्रावधान है जिसमे 10 किलोमीटर के अंतर्गत आने वाले समस्त ग्राम पंचायतों में इसके दुष्प्रभावों का उल्लेख होना चाहिए। इसका पालन नही किया गया हैं।
