लेंध्रा का श्रीराधा माधव मंदिर जहां २८ वर्षों से जल रही अखंड ज्योति और हो रहा अखंड कीर्तन छत्तीसगढ़ में होने के साथ ओडिशा का कल्चर भी समाहित…..पढ़िये हमारी खास रिपोर्ट



विशेष दिन पूजा-अर्चना कर लगाया जाता है ५६ भोग, जिसमें रहते हैं१०८ प्रकार के व्यंजन
अश्विनी साहू/कबीरदास की खास रिपोर्ट
बरमकेला. छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बार्डर पर स्थित लेंध्रा गांव मेंं श्री राधा माधव मंदिर स्थापित है। मंदिर की स्थापना १९९३ में हुई। तब से आज तक पूरे २८ वर्षों से इस मंदिर में अखंड ज्योति तो जल रही है और यहां तब से अखंड हरि-नाम
कीर्तन किया जा रहा है। इसकी कड़ी एक दिन भी नहीं टूटी है। इस अखंड दीप का प्रज्जवलन पूरी के जगतगुरू शंकराचार्य ने किया गया था। यहां एक विशेष दिन विशेष पूजा के साथ ५६ भोग का प्रसाद चढ़ाया जाता है। मंदिर की ख्याति आसपास में फैली हुई है।
बरमकेला तहसील से 9 किमी दूर में ग्राम लेन्ध्रा में श्री राधामाधव मंदिर प्रांगण में राधामाधव मंदिर, श्री रामजानकी मंदिर, नाम मंदिर (श्री चैतन्य महाप्रभु) हनुमान मंदिर और जगन्नाथ मंदिर
स्थापित है। 1 अप्रैल 1993 से श्री कृष्ण चैतन्य प्रभु नित्यानंद हरे कृष्ण हरे राम श्री राधे गोविंद का निरन्तर जाप हो रहा है। इस अखंड जाप के लिए मंदिर में टीम है, जो हर एक से दो घंटे में बदलते रहते हैं। इसके अलावा गांव के लोग भी अखंड कीर्तन करने आते हैं। साथ हीयहां अखंड नाम
कीर्तन आश्रम समिति भी गठित की गई है। इसमें मंदिर के मुख्य पूजक गौरीशंकर सूपकार, अध्यक्ष भूतनाथ पटेल, उपाध्यक्ष कन्हैया सारथी, संरक्षक नित्यानंद पटेल, सचिव संकर्षण मालाकार सह सचिव सरोज साहू शामिल हैं। यहां के मुख्य
आयोजन पर गौर करे तो राधा अष्टमी-राधारानी जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। 108 मंदग से की धून पर पूजा होती है। इसमें जिससे क्षेत्र के सभी कीर्तन मंडली आकर कीर्तन भजन में
शामिल होते हैं। इसके बाद महाभंडारा का भोग लगाया जाता है। वहीं झूला उत्सव में राधा कृष्ण को 5 दिन झूला में बैठा कर पूजा किया जाता है। साथ ही श्रवण एकादशी से श्रवण पूर्णिमा तक बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा यहां व्यंजन द्वादशी में भगवान राधा कृष्ण को 56 भोग अर्पित किया जाता है।
गरीबों की सेवा में भी बटोरी ख्याति
मंदिर में आने वाला कोई भी वृद्ध और गरीब भूखे पेट नहीं जाता। यहां भगवान की पूजा जिस धूमधाम से किया जाता है। उसी प्रकार से गरीब व वृद्धों को भी मान सम्मान मिलता है। वृद्ध गरीब के
लिए यहां रहने का स्थान भी बनाया गया है। जहां वे निवास करते हैं और उन्हें भोजन भी दिया जाता है। इस बात को लेकर अंचल में मंदिर की ख्याति है।
कम खर्च में होती है सजातिय शादी
मंदिर में कम खर्च में शादी कराने की व्यवस्था भी है। इसमें वर वधू दोनों सजातिय होते हैं और दोनों पक्षों के परिजनों की सहमति होने पर ऐसा किया जाता है। अब तक यहां कई शादियां की जा चुकी है। इसके लिए मंदिर परिसर में ही विवाह मंडप बनवाया गया है।
वर्सन
मंदिर की स्थापना १९९३ में हुई है। तब से यहां अखंड ज्योति जल रही है और तक से अखंड हरि नाम कीर्तन भी किया जा रहा है। मंदिर में आने वाले गरीबों की सेवा भी होती है।
भूतनाथ पटेल, अध्यक्ष, श्री राधा माधव मंदिर समिति
एक झलक…..
