July 21, 2025

त्रिनेत्र टाईम्स

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कोरबा  मोहर्रम का चांद नजर आते ही इस्लामिक नए साल की शुरुआत हो गई। मोहर्रम का चांद दिखाई देने से पहले ही शहर के इमामबाड़ों की साफ-सफाई कर ली गई है। वहां पर ताजिए रखे जाएंगे और सवारियां बिठायी जाएंगी। विभिन्न स्थानों तैयारी पूरी हो गई है। मोहर्रम का चांद बुधवार को दिख गया। इसके साथ ही समुदाय के लोग इमाम हुसैन के गम में सोगवार हो गए। 10 मोहर्रम यानी 29 जुलाई को यौमे आशूरा मनाया जाएगा। इस दिन ताजिए निकाले जायेंगे। इस दिन समुदाय के बच्चे, बूढ़े, जवान नंगे पांव सडक़ों पर अलम और ताजिया निकालेंगे।
मुस्लिम धर्म गुरुओं ने बताया कि इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों को कर्बला के मैदान में 10 मोहर्रम सन 61 हिजरी को भूखा-प्यासा शहीद कर दिया गया था। क्रूर और जालिम यजीदी फौज ने इमाम हुसैन के 6 महीने के दूधमुंहे बच्चे की भी तीर मार कर जान ले ली थी। उस कुर्बानी की याद में ही हर साल मोहर्रम मनाया जाता है। इसे शिया-सुन्नी दोनों अपने-अपने तरीके से मनाते हैं। यह पवित्र पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के नाती इमाम हुसैन की शहादत का महीना है। इस महीने के 1 से 10 तारीख तक को लोग मोहर्रम के रूप में मनाते हैं। उन्होंने कहा कि कर्बला की शहादत को सदियां बीत चुकीं, लेकिन यह घटना आज भी लोगों के जेहन में इस तरह ताजा हैं, जैसे हाल ही में हुई हो।

 

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